- बीरेंद्र कुमार झा
उत्तर प्रदेश में बीजेपी (BJP) अब मुस्लिम (Muslim) वोटरों को रिझाने के लिए सूफी वाला रास्ता अपनाएगी।सूफीवाद एक रहस्यवादी इस्लामी सोच है जिसमें मुसलमान ईश्वरीय स्नेह की सच्चाई को खोजने की कोशिश करते हैं।बीजेपी ने अपने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ से राज्य के मुस्लिम बहुल इलाकों में मुख्य रूप से ‘सूफी सम्मेलन’ आयोजित करने के लिए कहा है।
सपा के वोटर्स को अपनाने के लिए बनाया खास प्लान
एक अनुमान के अनुसार उत्तर प्रदेश के 1.6 लाख से अधिक मतदान केंद्रों में से लगभग 30 हजार में मुस्लिम आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। आम तौर पर मुसलमानों को समाजवादी पार्टी (SP) का समर्थक माना जाता है।ऐसे में बी जे पी मुसलमानों के एक बड़े समूह को अपने पक्ष में लाकर समाजवादी पार्टी को कमजोर बनाने में जुट गई है।
बी जे पी 2024ईसवी के लोक सभा चुनाव को देखते हुए ‘कौमी चौपाल’ लगाने की पहल जल्दी ही करने जा रही है जो ‘ग्राम चौपाल’ के समान होंगी। यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक सेल के प्रमुख कुंवर बासित अली ने कहा कि बीजेपी पार्टी समाज के सभी वर्गों तक अपनी पहुंच बना रही है।उन्होंने कहा, कि सूफीवाद के फॉलोअर्स पार्टी के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। हम आने वाले दिनों में उन तक पहुंचने के लिए एक अभियान की योजना बना रहे हैं।
सपा के वोट पर बीजेपी की नजर
सूफी अनिवार्य रूप से दरगाहों से जुड़े हुए हैं, जो वहाबी मुसलमानों के विपरीत है।ये दरगाहों को इबादत के स्थान के रूप में मानते हैं, जो इस्लाम में प्रतिबंधित है। उनका मानना है कि दरगाह पर जाना सूफी संत की कब्र पर इबादत करना है, जबकि इस्लाम केवल अल्लाह की इबादत करने की अनुमति देता है। पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा मुस्लिमों के बीच सामाजिक रूप से उत्पीड़ित वर्ग तक कल्याणकारी उपायों को सुनिश्चित करने की प्रक्रिया में तेजी लाने की वकालत करने के बाद बीजेपी पहले से ही पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों को अपने पक्ष में करने के लिए प्रयास कर रही है।यहां तक कि बीजेपी ने निकाय और लोकसभा चुनावों के लिए अपना चुनावी खाका भी तैयार कर लिया है। तीन तलाक के अलावा केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजना के लाभ के साथ अब कौमी चौपाल की योजना लाकर बीजेपी उन मुसलमानों को लुभाकर अपनी पार्टी बीजेपी के पक्ष में लाने की कोशिश कर रही है जो मुख्य रूप से समाजवादी पार्टी के पीछे भारी रूप से एकजुट हो रहे हैं।