विकास कुमार
28 मई को होने वाले संसद भवन के उद्घाटन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। एक पीआईएल दायर करके याचिकाकर्ता ने पीएम मोदी के हाथों संसद भवन के उद्घाटन का विरोध किया है। नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल की गई है। इस पीआईएल में कहा गया है कि राष्ट्रपति देश की प्रथम नागरिक हैं। संविधान के अनुच्छेद 79 के मुताबिक राष्ट्रपति संसद का भी अनिवार्य हिस्सा हैं। लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है। देश के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं। सभी बड़े फैसले भी राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते हैं। अनुच्छेद 85 के तहत राष्ट्रपति ही संसद का सत्र बुलाते हैं। अनुच्छेद 87 के तहत उनका संसद में अभिभाषण होता है। जिसमें वह दोनों सदनों को संबोधित करते हैं। संसद से पारित सभी विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही कानून बनते हैं। इसलिए, राष्ट्रपति से ही संसद के नए भवन का उद्घाटन करवाया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता का कहना है कि लोकसभा सचिवालय ने संसद भवन के उद्घाटन के लिए जो निमंत्रण पत्र जारी किया है, वह असंवैधानिक है।याचिकाकर्ता का नाम सी आर जयासुकिन है। पेशे से वकील जयासुकिन तमिलनाडु से हैं,वह लगातार जनहित याचिकाएं दाखिल करते रहते हैं। गौरतलब है कि संसद के नए भवन का उद्घाटन 28 मई को होना है। सुप्रीम कोर्ट में इस समय अवकाशकालीन बेंच बैठ रही है। ऐसे में याचिकाकर्ता 26 मई को अपनी दलील पेश कर सकते हैं। अब सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट पर टिक गई है। ये देखना अहम होगा कि इस बड़े केस पर सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला सुनाएगा।