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दिल्ली यूनिवर्सिटी के चैप्टर से मोहम्मद इकबाल को अब बहार कर दिया गया है। डीयू की अकादमिक परिषद् ने कल इसकी मंजूरी दे दी। परिषद् से विभाजन अध्ययन ,हिन्दू अध्ययन और जनजातीय अध्ययन के लिए नए सेंटर बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई गई। मोहम्मद इकबाल को स्नातक के पाठ्क्रम से हटाए जाने के बाद बीजेपी की छात्र इकाई विद्यार्थी परिषद् ने इस फैसले पर ख़ुशी जताई है और कहा है कि दिल्ली विश्वविद्यालय अकादमिक परिषद ने डीयू के राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम से कट्टर मोहम्मद इकबाल को हटाने का फैसला किया। मोहम्मद इकबाल को पाकिस्तान का दार्शनिक पिता कहा जाता है। जिन्ना को मुस्लिम लीग का नेता बनाने के पीछे इकबाल ही थे। मोहम्मद इकबाल भारत के विभाजन के लिए उतने ही जिम्मेदार हैं जितने कि मोहम्मद अली जिन्ना हैं।
याद रहे सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा…लिखने वाले शायर/कवि अल्लामा मोहम्मद इकबाल ही थे। यह गाना आज भी हर भारतीय फक्र के साथ गाता है और इकबाल को याद भी करता रहा है। लेकिन अब वही इकबाल हमारे देश में नहीं पढ़ाये जायेंगे। बता दें कि अल्लामा इकबाल पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि थे। वे अपने जमाने में उर्दू और फारसी के कवियों में शीर्ष पर थे। पाकिस्तान बनने में उनके विचारों का भी योगदान माना जाता है।
डीयू के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने कहा कि शुक्रवार को परिषद की बैठक में पाठ्यक्रम और विभिन्न केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव पारित किए गए। विभाजन, हिंदू और जनजातीय अध्ययन के लिए केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव पारित किए गए हैं। मोहम्मद इकबाल को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है। इकबाल को बीए पॉलिटिकल साइंस के पेपर मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थिंक में शामिल किया गया था। हालांकि अभी प्रस्तावों को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (ईसी) से अनुमोदन मिलना बाकी है। यह बैठक 9 जून को होगी।