विकास कुमार
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर जालना में मनोज जारांगे पाटिल अनशन कर रहे हैं। मनोज जारांगे ने साफ कर दिया है कि जब तक मराठा समुदाय के सदस्यों को आरक्षण नहीं दिया जाता, तब तक उनका ये अनशन जारी रहेगा। जारांगे ने मांग की है कि मराठा जाति को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए वंशावली नियमों में ढील दिया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठवाड़ा जिले में रहने वाले मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र जारी करने की घोषणा की थी। शिंदे ने कहा था कि इस इलाके में रहने वाले समुदाय के उन लोगों को प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा,जिनके पास निजाम शासन के दौरान बने कुनबी जाति वाला राजस्व और शैक्षणिक अभिलेख हैं। मराठवाड़ा क्षेत्र महाराष्ट्र का हिस्सा बनने से पहले तत्कालीन निजाम शासित हैदराबाद राज्य के तहत आता था। जारांगे ने राज्य सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है,जारांगे ने कहा कि शिंदे सरकार ने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं जो पहले नहीं हुए थे। हालांकि, वह इस फैसले से संतुष्ट नहीं दिखे।
वहीं जारांगे ने कहा कि हमें अभी तक सरकार के फैसले के बारे में सरकारी प्रस्ताव नहीं मिला है। लेकिन हमें पता चला है कि यह उन मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के लिए है जिनके पास वंशावली है। यदि हमारे पास वंशावली है, तो हमें कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए जीआर की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है। मराठवाड़ा में रहने वाले मराठा समुदाय के सदस्यों को बिना किसी भेदभाव के कुनबी जाति का प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए। सरकार इस संबंध में विशेष रूप से उल्लेखित जीआर लेकर आए और उसके बाद आंदोलन समाप्त करेंगे।
कुनबी, कृषि से जुड़ा एक समुदाय है, जिसे महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी का आरक्षण हासिल है। कुनबी समाज को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिलता है,वैसे मराठा जिनके पास कुनबी जाति होने की वंशावली है उन्हें सरकार आरक्षण दे सकती है। लेकिन मनोज जारांगे पाटिल वंशावली के नियमों में ढील चाहते हैं,क्योंकि इससे उन मराठों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा जिनके पास वंशावली नहीं है।