न्यूज़ डेस्क
अभी यूनिसेफ की हलिया रिपोर्ट से जो बाते सामने आयी है उसे जानकार हैरत हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 23 करोड़ महिलाओं-बच्चियों को फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (एफजीएम) यानी ‘खतना’ की पीड़ा झेलनी पड़ी है। दुनिया की कई संस्थाओं की कोशिशों के बावजूद ऐसी महिलाओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 से तुलना करें तो पिछले आठ वर्षों में ‘खतना’ करने वाली महिलाओं और बच्चियों की संख्या में तीन करोड़ यानी करीब 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में इस पर रोक के बावजूद यह प्रथा आज भी बेधड़क चल रही है। यह प्रथा दुनिया के 92 से ज्यादा देशों में जारी है। भारत भी इस कुरीति से अछूता नहीं है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि ‘खतना’ के समय बच्चियों को बेहोश तक नहीं किया जाता और न ही कोई डॉक्टर मौजूद होता है।
आंकड़ों के अनुसार 14.4 करोड़ से अधिक मामलों के साथ अफ्रीकी देश इसका सबसे अधिक दंश झेल रहे हैं। एशिया में आठ करोड़ और मध्य पूर्व में ‘खतना’ के 60 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक इस दिशा में प्रगति हो रही है लेकिन रफ्तार बहुत धीमी है। विश्लेषकों का कहना है कि इस प्रगति की यह रफ्तार 2030 तक इसके उन्मूलन लक्ष्य को हासिल करना असंभव है।