बीरेंद्र कुमार झा
उत्तर प्रदेश में मदरसे की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए है।इस खुलासे के बाद से मदरसों और विदेशी फंडिंग को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। जांच पड़ताल के बाद अब बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश के ऐसे मदरसे संदेह के घेरे में है। प्रदेश के 108 मदरसे को महज 2 साल में 150 करोड़ से अधिक का फंड मिलने के बाद अधिकारी हरकत में आ गए हैं।बताया जा रहा है की स्पेशल इंडिविजुअल इन्वेस्टिगेशन टीम को जांच में बड़े पैमाने पर मदरसों में विदेशी फंडिंग के सबूत मिले हैं। जांच पड़ताल में यह बात सामने आई है कि इन मदरसों को विशेष कर खाड़ी देशों से फंडिंग होती रही है। ऐसे में जांच टीम इसकी गहराई से छानबीन में जुट गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के जिन जनपदों के मदरसों को विदेश से आर्थिक मदद मिलती रही है उसमें श्रावस्ती, बहराइच, सिद्धार्थनगर, मुरादाबाद, रामपुर, अलीगढ़, सहारनपुर,देवबंद और आजमगढ़ जिला शामिल है। ऐसी जानकारी आ रही है की यूपी एटीएस ने विदेशों से फंड भेजने वाली संस्था कौन है, रकम कहां से भेजी गई है,किस तरीके से भेजी गई है और किस अकाउंट से भेजी गई है इस सबकी पूरी जानकारी इन मदरसों के प्रबंधकों से तालब की है। इतना ही नहीं फंडिंग मिलने के बाद रकम मदरसे में कहां खर्च हुई, रकम से क्या-क्या किया गया है, इन सभी के खर्च और खरीदारी के बिल भी प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं, ताकि उन सभी की जांच पड़ताल की जा सके। इससे एटीएस पूरी तरह से समझ सकेगी कि आखिरकार इतने बड़े पैमाने पर फंडिंग के पीछे का मकसद क्या है?
3 सदस्यीय एसआईटी कर रही है जांच
उत्तर प्रदेश सरकार ने अक्टूबर के महीने में एडीजी एटीएस और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अफसरों की तीन सदस्य एसआईटी गठित कर मदरसों की विदेशी फंडिंग की जांच के आदेश दिए थे। इस सोसाइटी की जांच के लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार ने मोहित अग्रवाल के नेतृत्व में इस तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश में 25000 में से 16500 मदरसे मान्यता प्राप्त है। इसके अतिरिक्त चल रहे हैं मदरसे को यद्यपि मान्यता प्राप्त नहीं है,और इन्हें सरकारी फंडिंग काम ही होते हैं लेकिन ऐसे मदरसे को विदेश से अच्छी- खासी फंडिंग होती रहती है।
यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष ने जांच पर जताई आपत्ति
इस बीच गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच करने के बाद अनुदानित व स्थानीय मान्यता प्राप्त मदरसों की भी जांच करने के लिए प्रत्येक जिले में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और डीएम द्वारा नामित खंड शिक्षा अधिकारी की समिति बना दी गई है। मदरसों की जांच अभी कराए जाने पर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर इफ्तिखार अहमद जावेद ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि मदरसों में अभी कंपार्टमेंटल परीक्षा घोषित किया जाना है। बोर्ड परीक्षा के फॉर्म भरे जा रहे हैं।मदरसों में जांच होने से महत्वपूर्ण कार्य तथा पठन-पाठन प्रभावित हो जाएगा। मदरसा बोर्ड की वार्षिक परीक्षाओं में भी विलंब हो जाएगा। इसलिए जांच प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित करते हुए परीक्षा कार्य को सर्वोत्तम वरीयता दिलाई जाए, ताकि छात्र-छात्राओं का भविष्य सुरक्षित किया जा सके। उन्होंने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह से मिलकर उन्हें इस आशय का एक पत्र सौंपा और जांच बोर्ड परीक्षा के बाद करने का अनुरोध किया है।
जनपदों में जांच,समिति के हवाले
मदरसा बोर्ड की रजिस्ट्रार प्रियंका अवस्थी ने निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण को पत्र भेजकर जांच करने का अनुरोध किया था। इसी के तहत अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक जे रेभा ने सभी मंडलीय उपनिदेशक और सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र भेज कर जांच के निर्देश दिए हैं। जिन जिलों में 20 से अधिक मदरसे हैं, वहां दूसरी समिति बना दी गई है।इसमें उपनिदेशक अल्पसंख्यक कल्याण और डीएम द्वारा नामित खंड शिक्षा अधिकारी रहेंगे। निदेशक ने मदरसों के भवनों आधारभूत सुविधाओं एवं कार्य शिक्षक तथा कर्मचारियों के शैक्षिक अभिलेख की जानकारी प्राप्त करने के निर्देश दिए थे।
30 दिसंबर तक सौंपनी होगी पहली रिपोर्ट
इस जांच की पहली रिपोर्ट 30 दिसंबर तक पूरी कर मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार को देना होगा। प्रदेश में 560 मदरसों को सरकार से अनुदान मिलता है। इसकी जांच पहले चरण में 30 दिसंबर तक पूरी करनी है। दूसरे चरण में 3834 अस्थाई मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच 15 जनवरी से 30 मार्च के बीच होनी है। निदेशक ने पत्र में यह भी लिखा प्रदेश में स्थित मदरसों में अभी आधारभूत सुविधाओं का अभाव है और वहां पढ़ रहे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण वैज्ञानिक एवं आधुनिक शिक्षा प्राप्त नहीं हो पा रही है, जिसके कारण छात्रों को रोजगार के समुचित अवसर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।