न्यूज़ डेस्क
आसन्न लोकसभा चुनाव में किसकी जीत होगी और किसकी हार यह तो चार जून को ही पता चलेगा। एक तरफ कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र तैयार किया है और जनता तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है वही बीजेपी भी एक बड़ी योजना पर काम कर रही है।
आसन्न लोकसभा चुनाव को लेकर पीएम मोदी पूरी तरह से आश्वस्त हैं और सत्ता सरकार को लेकर एक नयी योजना पर काम कर रहे हैं। बीजेपी का फोकस 2030 के लिए मध्यम अवधि के लक्ष्य और 2047 के लिए दीर्घकालिक लक्ष्य तय करने पर है। कैबिनेट सेक्रेटरी कार्यालय की ओर से तैयार ड्राफ्ट पेपर पर चर्चा के लिए इसी माह एक मीटिंग बुलाई गई है।
ड्राफ्ट पेपर की कार्य-योजना पर भरोसा करें तो साफ है कि नौकरशाही का फोकस विशेष रूप से समाज का वृद्ध वर्ग, महिलाएं, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ होने के साथ सरकार का खर्चा कम करने पर भी होगा। इसके लिए मंत्रालयों की संख्या भी कम किए जाने पर मंथन होगा। मसौदे में शीर्ष प्राथमिकता पर सोशल सेक्टर को रखा गया है।
इसके तहत 2030 तक पेंशन लाभ में वरिष्ठ नागरिकों की हिस्सेदारी को 22% से दोगुना कर 50% करने, कार्यबल में महिलाओं की संख्या 37% से बढ़ाकर 50% करना और मंत्रालयों की संख्या 54 से कम कर 40 लाना रखा गया है।
विदेश नीति के मोर्चे पर अगले छह वर्षों में फोकर भारतीय मिशनों की संख्या बढ़ाने को लेकर रहेगा और भारतीय मिशनों की संख्या 20% बढ़ाकर 150 किया जाने का लक्ष्य है।
आर्थिक मोर्चे पर लक्ष्य कपड़ा, फार्मा, पर्यटन और सेवाओं जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना और मैन्यूफैक्चरिंग और निर्यात की हिस्सेदारी बढ़ाना है। 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान 28% से बढ़ाकर 32.5% करना और व्यवसाय शुरू करने का समय 18 दिन से घटाकर 10 दिन करना है। साथ ही बुनियादी ढांचे में अधिक निजी निवेश और प्राथमिकता वाले प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए एक तंत्र विकसित करना भी एजेंडे में है।
डिफेंस की हिस्सेदारी बढ़ाना: वर्तमान में, रक्षा खर्च को सकल घरेलू उत्पाद के 2.4% से बढ़ाकर 3% करने और अनुसंधान एवं विकास के लिए रक्षा बजट की हिस्सेदारी 2% से बढ़ाने पर भी चर्चा हो रही है। वैश्विक हथियार निर्यात की हिस्सेदारी को 0.2% से बढ़ाकर 3% से अधिक करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि दुनिया भर से हथियारों के आयात में भारत की हिस्सेदारी आधी करने का भी लक्ष्य है।
मसौदे में कहा गया है कि चीन , ब्राजील और अमरीका में क्रमशः मंत्रालयों की संख्या मात्र 26, 23 और 15 है। फिर भारत में क्यों नहीं मंत्रालय की संख्या कम की जा सकती है, जिससे खर्च घटेगा और कामों में तेजी आएगी।
2030 तक अदालतों में लंबित मामलों की संख्या को वर्तमान में लगभग 5 करोड़ से घटाकर 1 करोड़ से कम करना, न्यायिक प्रणाली में मामलों के निपटारे की औसत अवधि 50 फीसदी कम करने और न्यायपालिका में रिक्तियों को 22% से घटाकर 10% करना। इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में हिस्सेदारी 7% से बढ़ाकर 30% से अधिक करना का महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी है।
2030 तक कैदियों के बीच विचाराधीन कैदियों की हिस्सेदारी को 77% से घटाकर 40% से कम करने और जेल में क्षमता के अनुकूल ही कैदी रखने का लक्ष्य रखा गया है।