बीरेंद्र कुमार झा
कर्नाटक में सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों मैं हिजाब पहनने पर लगी रोक को हटा दिया है। इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी राज्य सरकार पर हमलावर है। गौरतलब है कि हिजाब को लेकर यह प्रतिबंध बीजेपी की पिछली सरकार की तरफ से वर्ष 2022 में लगाया गया था।
विपक्ष की जीत हुई तो पूरे देश में लागू होगा इस्लामिक कानून
कर्नाटक में कांग्रेस के सिद्धरणैया सरकार द्वारा कर्नाटक के स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पहनने पर लगी रोक को हटाकर अगर कांग्रेस पार्टी ने देश के धार्मिक अल्पसंख्यक मुसलमानों का वोट बैंक साधने का प्रयास किया है, तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी उसे लेकर अपना राजनीतिक हित साधने में जुट गई है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा हिजाब पर लगे प्रतिबंध को हटाने के मुद्दे पर कहा कि यह हिजाब हिजाब पर से प्रतिबंध हटाना भर नहीं है, बल्कि राज्य में सरिया कानून की स्थापना है। उन्होंने आगे कहा कि अगर राहुल गांधी,कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन इंडिया की देश में सरकार बनी तो पूरे देश में इस्लामी कानून लागू कर दिया जाएगा। यह एक सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा है।यह सनातन धर्म को नष्ट करने की साजिश है।
अल्पसंख्यकों को खुश करने का प्रयास
कांग्रेस के सिद्धरमैया सरकार द्वारा स्कूलों में हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को हटाए जाने के मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री एसआर बोम्मई ने कहा की हिजाब तो हर जगह पहना जाता है। मगर यहां ड्रेस कोड का मुद्दा है।सिद्धारमैया स्कूलों और कॉलेज में छात्रों के बीच भेदभाव पैदा करना चाहते हैं।ये वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि फिलहाल याह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस पर भी ध्यान नहीं दिया।वे अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। अगर उनकी नजर लोकसभा चुनाव पर है तो हम इस फैसले की निंदा करते हैं।
बीजेपी को संविधान पढ़ने की जरूरत
बीजेपी की प्रतिक्रिया पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया है। राज्य में सत्ताधारी दल की ओर से कहा गया कि यह कदम कानून के तहत उठाया गया है।उसे लेकर राजनीति नहीं की जानी चाहिये।कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे वह राज्य मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि बीजेपी को संविधान के बारे में थोड़ी भी जानकारी है उन्हें संविधान पढ़ने की जरूरत है कोई भी ऐसा कानून या नीति जो कर्नाटक की प्रगति के लिए सही नहीं है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जाएगा और अगर जरूरत पड़ी तो हम उस कानून या नियम को हटाएंगे और यहां यही किया गया है।