बीरेंद्र कुमार झा
आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण को लेकर दिए गए बयान पर यकीन करना मुश्किल है। लालू यादव ने कहा कि मोहन भागवत आरक्षण विरोधी हैं। गुरु गोलवलकर ने बंच ऑफ थॉट में जो लिखा है, वही मोदी कर रहे हैं और वही मोहन भागवत भी कर रहे हैं।
वंचितों के वोट को लुभाने का प्रयास है मोहन भागवत का बयान
आरजेडी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में दलितों,वंचितों ! एवम पिछड़ों के वोट को लुभाने के प्रयास के रूप में देखा² के को हिंदू राष्ट्र बनाने के संकल्प को तिलाजलि नहीं दे देते हैं हैं,तब तक भागवत के बयान पर यकीन करना मुश्किल है।
राम हो या रहीम हो सबका मालिक एक है
सनातन धर्म के सवाल पर लाल यादव ने कहा कि बीजेपी ढोंगी है, पगलाया हुआ है,बात पर बात बनाता है।राम हो या रहीम हो, सबका मालिक एक है। लालू यादव ने कहा कि इंडिया संगठन को हम लोगों ने बनाया है ।इंडिया गठबंधन की बिल्कुल जीत होगी। भारत और इंडिया को लेकर छिड़े विवाद पर लालू ने कहा देश की स्थिति का निराकरण भगवान श्री कृष्णा करेंगे। परमात्मा से बड़ा कोई नहीं होता।
वंचितों के वोट को लुभाने का प्रयास है भागवत का बयान
आरजेडी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में दलित एवं वंचितों के वोट को लुभाने के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव को नजर में रखकर मोहन भागवत ने संविधान में दिए गए पिछड़े, दलितों और आदिवासियों के आरक्षण व्यवस्था का समर्थन किया है।
आरक्षण की व्यवस्था सिर्फ अधिकार देने के लिए ही नहीं
मोहन भागवत ने कहा है कि जब तक समाज में भेदभाव है,तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि हमने अपनी समाज व्यवस्था में अपने साथी मनुष्यों को पिछले 2000 वर्षों से पीछे रखा है ,हमने उनकी परवाह नहीं की। उनको समानता का अधिकार देने के लिए संविधान में दिया गया आरक्षण एक उपाय है।हम उसका पूरा समर्थन करते हैं। उनके अनुसार आरक्षण की व्यवस्था सिर्फ अधिकार देने के लिए ही नहीं है बल्कि जिनको आरक्षण मिल रहा है उनका सम्मान देने के लिए भी है।
मोहन भागवत ने 2015 में आरक्षण पर पुनर्विचार व करने की बताई थी जरूर
शिवानंद तिवारी ने कहा कि इन्हीं मोहन भागवत ने 2015 में आरक्षण पर पुनर्विचार करने की जरूरत बताई थी।अभी दो दिन पहले इंडिया और भारत के सवाल पर भागवत ने संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत इंडिया के स्थान पर सिर्फ भारत के प्रयोग का निर्णय सुनाया था। उनके नियमन के बाद राष्ट्रपति ने विश्व नेताओं के लिए भोज का न्योता में अंग्रेजी में प्रेसिडेंट ऑफ भारत का प्रयोग किया है।
हिंदू समाज व्यवस्था जाति भेदभाव पर आधारित
राजद नेता ने कहा सवाल सिर्फ आरक्षण का नहीं है, सवाल हिंदू राष्ट्र का भी है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात करता है ।हिंदू समाज व्यवस्था जाति भेदभाव पर आधारित है। इस व्यवस्था के तहत देश की बड़ी आबादी न सिर्फ पीछे छूट गई, बल्कि आबादी के इस हिस्से को अस्पृश्य करार दे दिया गया।इन सब विसंगतियों को दूर करने का प्रावधान हमारे संविधान में किया गया है ।इसलिए जब तक मोहन भागवत और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की संकल्प को तिलांजलि नहीं देते हैं , तब तक भागवत के बयान पर यकीन करना मुश्किल है
विपक्ष की बढ़ी बैचेनी
पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि तिलक टीका लगाने वाले सारे लोगों को देशद्रोही बताने वाले आरजेडी नेता जगदानंद को हिंदुओं से क्षमा मांगनी चाहिए उनका यह अनरगल कथन लालू प्रसाद के बहुचर्चित बयान की याद ताजा करता है और साबित करता है कि आरजेडी का ए टू जेड की पार्टी होने का तेजस्वी यादव का दावा बिल्कुल झूठा है।श्री मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉक्टर मोहन भागवत ने अपने ताजा संबोधन में या कहकर आरजेडी- जेडीयू जैसे दलों की बेचैनी बढ़ा दी है कि समाज में और असामानता रहने तक यानी अनिश्चितकाल तक भारत में आरक्षण व्यवस्था जारी रहेगी।