अखिलेश अखिल
वैसे तो राजद सुप्रीमो लालू यादव की परेशानी तो वर्षों से चल रही है। चारा घोटाले में वे दोषी साबित हो चुके हैं। जेल की सजा भी हो चुकी है। बीमारी की वजह से जेल से बाहर है। जमानत पर हैं। लेकिन अब बीजेपी को यह सब खटक रहा है। खटकना भी चाहिए। कोई सजायाफ्ता आदमी बाहर रहकर बीजेपी के खिलाफ राजनीति करे यह सब कैसे चलेगा ? कौन बर्दास्त कर सकता है ? चारा घोटाले की जांच भी फिर से चल रही पिछले काफी समय से लालू यादव को फिर से जेल में डालने की कोशिश की जा रही है। जमानत को रद्द करने की मांग की जा रही है। लेकिन लालू यादव भी तो कोई मामूली आदमी तो हैं नहीं।
लेकिन लालू यादव लैंड फॉर जॉब मामले में भी घिरे हुए हैं। इस केस में तो लगभग उनका पूरा परिवार ही शामिल है। खुद लालू यादव तो इस केस के पात्र जहां है पत्नी राबड़ी देवी भी इस केस में आरोपी हैं। बेटी मीसा भारती और बेटे तेजस्वी यादव भी आरोपी है। इस मामले में कुल दर्जनभर से ज्यादा लोग आरोपी है। 17 लोगों के आरोपी होने की बात कही जा रही है।
यह मामला दिल्ली स्थित राउज एवेन्यू सीबीआई कोर्ट में चल रहा है। अब सीबीआई कोर्ट ने लैंड फॉर जॉब मामले के सभी आरोपियों को चार अक्टूबर को अदालत में हाजिर होने को कहा है। इस दिन सबसे पूछताछ भी की जाएगी और जरूरत पड़ने पर गिरफ्तारी भी की जा सकती है।
लेकिन सबसे बड़ी बात तो यही है कि अगर सीबीआई ने इस मामले में तेजस्वी यादव को गिरफ्तार कर लिया तब क्या होगा ? जानकार कह रहे हैं कि इस मामले में लालू यादव और राबड़ी देवी समेत अगर मीसा भारती की भी गिरफ्तारी होती है तो कोई बड़ा राजनीतिक बवाल नहीं हो सकता है। लेकिन जिस तरह से जुलाई महीने में इस केस में अलग से तेजस्वी यादव का नाम जोड़ा गया है उससे साफ़ है कि मौजूदा सरकार तेजस्वी को गिरफ्तार कर एक बड़ा मैसेज बिहार की जनता को देना चाहती है। बीजेपी की केंद्र सरकार चाहती है कि तेजस्वी की गिरफ्तारी होते ही राजद में फुट पद सकती है और इसके साथ ही नीतीश कुमार पर भी कई तरह के दबाब पड़ सकते सकते हैं और बिहार का गठबंधन टूट सकता है। बीजेपी का आखिरी दाव है। इस दाव को नीतीश कुमार भी समझ रहे हैं और लालू परिवार भी। लेकिन सरकारी खेल के सामने कुछ भी करने की हालत में भी नहीं है।
इधर जिस तरह से सीबीआई ने तेजस्वी यादव को इस केस में यह कहते हुए शामिल किया कि दिल्ली के न्यू फ्रैंड्स कॉलोनी में एक मकान तजवी यादव के नाम पर है। इस मकान की कीमत चाहे जो भी हो उसे लैंड फॉर जॉब केस से जोड़ दिया गया है। अभी तक तो इस केस को सीबीआई ही आगे बढ़ा रही थी लेकिन अब ईडी भी इसमें मनी लॉन्ड्रिंग का मामला ढूंढ रही है। मकसद यही है कि लोकसभा चुनाव से पहले बिहार के गठजोड़ को ख़त्म किया जाए या फिर कमजोर कर दिया जाए। बीजेपी की नजर लालू यादव को जेल भेजने पर नहीं है उसकी नजर बिहार की अधिकतम सीटें जितने की है और केंद्र की सत्ता में पुनः वापसी की है। और ऐसे में खेल यही है कि किसी भी तरह से लालू यादव परिवार को जेल में डालकर नीतीश सरकार को बदनाम किया जाए और बिहार की राजनीति को अपने फेवर में किया जाए। इस खेल में सीबीआई और ईडी का सिर्फ उपयोग किया जा रहा है।
कहा जा रहा है कि इस बात की बहुत सम्भावना है कि चार अक्टूबर को सीबीआई अदालत में कोई बड़ा निर्णय हो सकता है। कहा ये भी जा रहा है कि तेजस्वी यादव की गिरफ्तारी भी हो सकती है। और ऐसा हुआ तो बिहार की राजनीति पर इसका बड़ा असर पडेगा ,सरकार गिर भी सकती है। राजद में टूट भी हो सकती है और फिर नीतीश कुमार आगे क्या कुछ करेंगे यह सब देखने की बात हो सकती है। ऊपर से भले ही सब इंडिया गठबंधन की बात कर रहे हैं लेकिन एक सच यह भी है कि कई राज्यों में सीटों को लेकर आपसी टकराव भी है। दूसरी तरफ बीजेपी अभी इस गठबंधन से काफी परेशान है। बीजेपी की परेशानी यह भी है कि अगर 2024 के चुनाव में उसकी वापसी नहीं होती है तो बीजेपी का भी वही हाल होगा और उसके नेता की जो हालत होगी उसकी कल्पना ही की जा सकती है। ऐसे में बीजेपी और उसके लोग नाची चाहेंगे की सत्ता उसके हाथ से निकले। और इसके लिए कई राज्यों की सरकार भी गिर जाए तो देश को यह सब मंजूर हो सकता है।