विकास कुमार
चीन की धूर्तता किसी से छिपी नहीं है,गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर चीनी सेना ने धोखे से घात लगाकर हमला किया था। गलवान में भारतीय सैनिकों पर हमला करने के बाद अभी भी भारतीय सीमाओं पर चीन की सेना मौजूद है। भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच सीमा विवाद को हल करने के लिए लगातार बातचीत चल रही है,लेकिन अभी तक दोनों पक्ष समस्या का समाधान नहीं निकाल पाए हैं। इसी बीच ये चर्चा जोर पकड़ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जीनपिंग के बीच मुलाकात होने जा रही है। दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन के राष्ट्रपति से मुलाकात हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो लद्दाख तनाव के बाद ये दोनों नेताओं की पहली मुलाकात होगी। हालांकि जिस तरह से चीन ने भारत को धोखा दिया है वैसे में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मोदी को नहीं मिलना चाहिए। राष्ट्रवाद की बात करने वाली मोदी सरकार को तब तक चीन के राष्ट्रपति से नहीं मिलना चाहिए जब तक कि भारत की सीमा से चीन की सेना दूर न हट जाए।
15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्राजील, चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका के नेता शामिल होंगे। ब्रिक्स देशों की बैठक के दौरान कई देशों के प्रमुखों से द्विपक्षीय बातचीत हो सकती है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पीएम मोदी ने लिखा है कि वे जोहान्सबर्ग में कुछ नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने के लिए भी उत्सुक हैं। इस बयान से ये साफ संकेत मिलता है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम मोदी का आमना-सामना हो सकता है हालांकि, विदेश मंत्रालय की तरफ से जिनपिंग के साथ बैठक को लेकर कुछ भी साफ नहीं कहा गया है। अगर पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय मुलाकात होती है, तो मई 2020 में भारत-चीन सीमा गतिरोध शुरू होने के बाद यह उनकी पहली मुलाकात होगी। दोनों नेताओं के बीच पिछले साल नवंबर में इंडोनेशियाई में आयोजित जी 20 कार्यक्रम के दौरान आमना-सामना हुआ था।
इंडोनेशियाई में पीएम मोदी और शी जिनपिंग का आमना-सामना तो हुआ लेकिन भारत और चीन के बीच रिश्ते की कड़वाहट दूर नहीं हो सकी। क्या इस बार भी मोदी शिनपिंग के मुलाकात से दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई भर पाएगी,इसलिए भारत को चीन के नापाक इरादों को लेकर सतर्क रहना पड़ेगा क्योंकि भारत की सीमा पर मौजूद चीन की सेना एक बार फिर धोखे की कार्रवाई कर सकती है।