न्यूज़ डेस्क
खबर मिल रही है कि सोमवार को कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार ने महिला आरक्षण की मंजूरी दे दी है। बीजेपी के लोग इसकी जानकारी देश को देने में भी लगे हैं। हालांकि सरकार की तरफ से इसकी घोषणा अभी तक नहीं हुई है। लेकिन माना जा रहा है कि संसद के इस सत्र में महिला आरक्षण बिल की मंजूरी मिल सकती है। अगर ऐसा होता है तो यह देश के लिए बड़ी बात होगी। यह एक इतिहास बनने जैसा होगा।
लेकिन अब महिला आरक्षण बिल को लेकर कई और तरह की राजनीति भी सामने आ रही है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लंबे समय से प्रतीक्षित महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दिए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “यह हमारा है।”मंगलवार सुबह संसद पहुंचने के बाद सोनिया गांधी का तीखा जवाब आया।जब उनसे महिला आरक्षण विधेयक दोबारा संसद में लाए जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘यह हमारा है, अपना है।’
उनकी टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी देने के एक दिन बाद आई है, इससेे संसद के चल रहे विशेष सत्र में ऐतिहासिक विधेयक पेश करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
इस बीच नई संसद में कार्यवाही शुरू होने से पहले विशेष सत्र का मुख्य एजेंडा भी सामने आ गया है। जानकारी के मुताबिक सोमवार को कैबिनेट की अहम बैठक में महिला आरक्षण बिल मंजूर कर दिया गया है। सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के मुताबिक आज या कल संसद में महिला आरक्षण बिल पेश किया जा सकता है।
आपको बता दें महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। विधेयक में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है।
गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है, जब महिला आरक्षण बिल सदन के पटल पर रखा जाएगा। 1996 से 27 साल में कई बार महिला आरक्षण बिल का मुद्दा संसद में उठ चुका है, लेकिन दोनों सदनों से यह अबतक पास नहीं हो पाया है। साल 2010 में हंगामे के बीच यह राज्यसभा में पास भी हो गया था, लेकिन लोकसभा से यह अहम बिल पास नहीं हो पाया था।
कांग्रेस ने हाल ही में संपन्न दो दिवसीय कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था ने अपने प्रस्ताव में महिला आरक्षण विधेयक को संसद के विशेष सत्र में पारित करने की मांग की थी। सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने विशेष सत्र में विधेयक पारित करने की मांग की।
महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का विधेयक सबसे पहले 1996 में एच.डी. देवगौड़ा सरकार द्वारा पेश किया गया था। कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने 2008 में इस कानून को फिर से पेश किया।रूप में जाना जाता है।यह कानून 2010 में राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था, लेकिन यह लोकसभा में पारित नहीं हो सका और 2014 में इसके विघटन के बाद यह समाप्त हो गया।


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