अखिलेश अखिल
आज सिद्धारमैया को फिर से कर्नाटक का कमान मिल गया। वे राज्य के नए मुख्यमंत्री बने हैं। कर्नाटक की जनता को उनसे बहुत ही आस है। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने जनता से कई वादे किये थे अब उन वादों को पूरा करने की बात है। कर्नाटक में आज से बहुत कुछ बदल जायेंगे।
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार सिद्धारमैया का जन्म देश की आजादी से ठीक पहले तीन अगस्त 1947 को मैसूर में हुआ था। तब ब्रिटिश का राज हुआ करता था। सिद्धारमैया के पिता सिद्धाराम गौड़ा मैसूर जिले के टी. नरसीपुरा के पास वरुणा होबली में खेती करते थे। मां बोरम्मा गृहणी थीं। दस साल की उम्र तक उनकी कोई औपचारिक स्कूली शिक्षा नहीं हुई थी। इसके बाद गांव के ही स्कूल में पढ़े। बाद में उन्होंने बीएससी और फिर एलएलबी की पढ़ाई मैसूर विश्वविद्यालय से की। पांच भाई-बहनों में सिद्धारमैया दूसरे नंबर पर हैं और वह कुरुबा गौड़ा समुदाय से हैं। सिद्धारमैया मैसूर के मशहूर वकील चिक्की बिलैया के अधीन जूनियर थे और बाद में उन्होंने कुछ समय के लिए कानून पढ़ाया।
सिद्धारमैया साल 1983 में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर कर्नाटक विधानसभा में चुनकर आए। 1994 में जनता दल सरकार में रहते हुए कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री बने। एचडी देवगौड़ा के साथ विवाद होने के बाद जनता दल सेक्युलर का साथ छोड़ा और 2008 में कांग्रेस का हाथ पकड़ा।
वे 2013 से 2018 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे चुके हैं। उन्होंने अब तक 12 चुनाव लड़े हैं जिसमें से नौ में जीत दर्ज की है। मुख्यमंत्री रहते हुए गरीबों के लिए चलाई गई उनकी कई योजनाओं की काफी तारीफ हुई, जिसमें सात किलो चावल देने वाली वालाअन्न भाग्य योजना, स्कूल जाने वाले छात्रों को 150 ग्राम दूध और इंदिरा कैंटीन शामिल थीं।
सिद्धारमैया का नाम विवादों में भी खूब रहा है। उनके कार्यकाल में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की जयंती धूमधाम से मनाई जाती थी। इसके अलावा उन्होंने पीएफआई और एसडीपीआई के कई कार्यकर्ताओं को रिहा करने का भी आदेश दिया था।
सिद्धारमैया की पत्नी का नाम पार्वती है। दोनों के दो बेटे हुए। राजनीति में अपने पिता के उत्तराधिकारी के रूप में देखे जाने वाले उनके बड़े बेटे राकेश की 2016 में 38 साल की उम्र में मौत हो गई थी। बताया जाता है कि मल्टी ऑर्गन फेल्योर के चलते उनकी मौत हुई थी। दूसरे बेटे यतींद्र 2018 में विधायक चुने जा चुके हैं। इस बार यतींद्र को टिकट नहीं मिला।
सिद्धारमैया दो बार कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पहली बार 16 मई 1996 से 22 जुलाई 1999 तक जनता दल में रहते हुए उन्हें उप-मुख्यमंत्री बनाया गया था। दूसरी बार 28 मई 2004 से पांच अगस्त 2005 तक जनता दल सेक्युलर में रहते हुए। इसके बाद 2013 में जब पूर्ण बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार बनी तो सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाया गया। और आज फिर सिद्धा कर्नाटक के नए बॉस हो गए। जनता की उम्मीदों पर वे कितना खड़ा उतरते है अब यही देखना बाकी है।


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