न्यूज डेस्क
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने सोमवार को साइलेंट किलर कही जाने वाली पनडुब्बी वागीर को नौसेना में शामिल किया। कलवारी श्रेणी की पांचवी पनडुब्बी वागीर को सैंड शार्क पर यह नाम दिया गया है, जिसका अर्थ होता है चुपके से और निडरता के साथ। इन दोनों गुणों से संपन्न यह पनडुब्बी पलक झपकते ही चुपके से दुश्मन का नामोनिशान मिटाने में सक्षम है । हिंद महासागर में बढ़ती चीन की चुनौती से निपटने में यह पनडुब्बी अहम भूमिका निभाएगी। एडमिरल कुमार ने कहा कि आईएनएस वागीर दुर्जेय हथियार पैकेज और अध्याधुनिक तकनीक से लैस घातक पनडुब्बी है। इसकी मारक क्षमता न केवल नौसेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाएगी बल्कि देश की ताकत में भी इजाफा होगा।
इसलिये खास है वागीर
- अत्याधुनिक तकनीक से लैश, दुश्मन पर छिपकर हमला करने में सक्षम
- खुफिया जानकारी जुटाना, माइन बिछाने और सर्विलांस का काम करने में भी सक्षम
- आत्मरक्षा के लिए अत्याधुनिक टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम लगा है।
- स्वदेशी निर्मित पनडुब्बियों में सबसे कम समय में तैयार हुई है। सबसे कम समय में हथियार सेंसर के परीक्षण पूरे किए।
- वागीर का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्थ्डर्स लिमिटेड ने फ्रांस के मैसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से किया है।12 नवंबर 2020 को यह बनकर तैयार कर ली गयी। 11 महीने में समुद्री परीक्षण पूरा किया। इसमें इस्तेमाल हुए अधिकतर उपकरण भारत में बने हैं।
- वागीर की लंबाई 221 फुट और चौड़ाई 40 फुट है। यह 350 फुट की गहराई तक जाने में सक्षम है। इसकी रफ्तार 37 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसमें चार ताकतवर डीजल इंजन लगे है। और 40 इसमें 40 नौसेनिक सवार हो सकते हैं।