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 चंद्रयान तीन और आदित्य एल्बम के बाद भारत का मिशन मत्स्य 6000

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बीरेंद्र कुमार झा

आसमान की ऊंचाइयों को छूने के बाद भारत के वैज्ञानिक अब समुद्र की गहराई नापेंगे।चंद्रयान-3 और आदित्य एल 1 की जबरदस्त सफलता के बाद अब जल्दी ही भारत के वैज्ञानिक समुद्र में बहुमूल्य धातुओं की तलाश करने वाले हैं। इसके लिए जल्दी ही भारतीय वैज्ञानिक समुद्रयान परियोजना लॉन्च करने वाले हैं। इस परियोजना के तहत वैज्ञानिक कोबाल्ट निकेल और मैंगनीज जैसी कीमती धातुओं और खनिजों की समुद्र की गहराइयों में तलाश करेंगे। भारतीय वैज्ञानिक इसके लिए तीन लोगों को स्वदेशी रूप से निर्मित पनडुब्बी में पानी के अंदर तकरीबन 6000 मीटर नीचे तक भेजेंगे।जिस खास पनडुब्बी से तीन लोग समुद्र में जाएंगे उसका नाम मत्स्य 6000 रखा गया है।इसका निर्माण बीते 2 सालों से किया जा रहा है।

तय किया जा रहे हैं सभी मानक

रिपोर्ट के मुताबिक अगले साल यानी वर्ष 2024 की शुरुआत में इसका चेन्नई तट के पास बंगाल की खाड़ी में पहला समुद्री परीक्षण किया जाएगा।गौरतलब है कि इससे पहले पर्यटकों को ले जाते समय पनडुब्बी टाइटन के फटने के बाद वैज्ञानिक अब इसकी डिजाइन पर बारीक नजर रख रहे हैं।जून 2023 को उत्तरी अटलांटिक महासागर में टाइटेनिक फट गया था। इस पनडुब्बी को राष्ट्रीय महासागर प्रद्योगिकी संस्थान (NIOT)के वैज्ञानिक विकसित कर रहे हैं। एनआईओटी की ओर से इसकी डिज़ाइन,सामग्री,परीक्षण,प्रमाणन, मानक तय किए जा रहे हैं।

बेसकीमती धातुओं की करेगा तलाश

भारत के समुद्रयान मिशन के तहत मत्स्य 6000 गहरे समुद्र में उतरकर कई खोजों को अंजाम देगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा कि हम 2024 की पहली तिमाही में 500 मीटर की गहराई पर मत्स्य 6000 का समुद्री परीक्षण करेंगे। उन्होंने कहा कि इस मिशन के 2026 तक साकार होने की उम्मीद है। अभी तक सिर्फ अमेरिका, जापान, फ्रांस ,और चीन ने मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित की है और इसे समुद्र में उतारा है।इसी कड़ी में मत्स्य 6000 समुद्र में निकेल,कोबाल्ट, मैंगनीज , हाइड्रो थर्मल सल्फाइड और गैस हाइड्रेट्स की तलाश करेगा। इसके अलावा मत्स्य 6000 हाइड्रो थर्मलवेंट और समुद्र में कम तापमान वाले मिथेन रिसने के कीमोसिंथेटिक जैव विविधता की जांच करेगा।

पीएम मोदी की डीप ओशन मिशन का हिस्सा

इस मिशन को लेकर केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि चेन्नई स्थित राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान में निर्माणाधीन मत्स्य 6000 सबमर्सिबल है।भारत के पहले मानव युक्त गहरे महासागर मिशन समुद्रयान में गहरे समुद्र के संसाधनों और जैव विविधता मूल्यांकन का अध्ययन करने के लिए पनडुब्बी में 6 किलोमीटर समुद्र की गहराई में 3 लोगों के भेजने की योजना है। यह परियोजना समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेगी। डीप ओशन मिशन प्रधानमंत्री के ब्लू इकोनामी मिशन के तहत है।

क्या है मत्स्य 6000 मिशन का डिजाइन

समुद्रयान मिशन के तहत मानव युक्त पनडुब्बी वाहन मत्स्य 6000 को डिजाइन किया जा रहा है। इसे तीन लोगों को ले जाने के लिए बनाया गया है। इसके लिए 1 मीटर व्यास का एक गोल विकसित किया गया है। यह गोला 6000 मीटर की गहराई पर पानी के दबाव को झेलने के लिए बनाया गया है।इस गोला को 80 एमएम मोटी टाइटेनियम मिश्र धातु से बनाया गया है।वहां को लगातार 12 से 16 घंटे तक संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें ऐसी व्यवस्था है जिससे इसमें 96 घंटे तक ऑक्सीजन उपलब्ध रहेगा।

 

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