रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली हाई पावर कमेटी ने एक लाख 44 हजार 716 करोड़ के रक्षा सौदों को मंजूरी दी है।इस सौदे में आगे होने वाले युद्ध में दुश्मनों को धूल चटाने के लिए एक से बढ़कर एक उपकरण खरीदे जाने हैं।
भविष्य के युद्ध की तैयारियों में भारत की यह मारक रणनीति केवल सुरक्षा के मोर्चे तक सीमित नहीं हैं,बल्कि भारत अब दुनियां के अन्य कई देशों को भी इसके जरिए सुरक्षा प्रदान करने की रन नीति बना रहा हैं।भारत पहले भी बड़े-बड़े रक्षा सौदे करता रहा है, लेकिन इस बार कुछ ऐसा है, जिसने दुनिया को हैरान कर दिया है।इस बार भारत की ओर से होने वाली एक लाख 45 हजार करोड़ की रक्षा खरीदारी पर आंख गड़ाए यूरोप और अमेरिका को इस बार करारा धक्का लगा है,क्योंकि भारत इस पूरे रक्षा सौदे में से 99% खरीदारी स्वेदशी कंपनियों से करेगा।ये सैन्य उपकरण भारत की ओर से विकसित की गई आधुनिक तकनीक पर आधारित और भारत में ही निर्मित होंगे।
पाकिस्तान से तो कभी युद्ध और कभी घुसपैठिए के कारण अक्सर तनाव की स्थिति बनी ही रहती है, लेकिन अब पिछले कुछ वर्षों से खासकर डोकलाम की घटना के बाद,चीन से लेकर सैन्य तनाव की स्थिति पैदा होते ही दुनिया के कई हथियार विक्रेता देश यह मान कर चल रहे थे कि अब तो चीन और भारत में युद्ध होना तय ही है।भारत और चीन दोनों बड़ी शक्ति है,इसलिए यह युद्ध भी काफी संहारक होगा।ऐसी स्थिति में भारत को चीन से निपटने के लिए बड़े मारक हथियारों की जरूरत होगी और वह भी ऐसी तकनीक के साथ जो चीन को सीधी टक्कर दे सके। शांति का संदेश देता रहा बुद्ध की धरती वाला यह देश भारत कहां से ऐसा कर सकेगा। इसलिए चीन से भारत के तनाव की पृष्ठभूमि में रक्षा कारोबार के बढ़ने और इससे अपने देश की इकोनॉमी को बूम देने का सपना भी कई देश सजाने लगे थे,लेकिन भारत और चीन के बीच तनाव के कारण युद्ध और उससे होने वाले सौदे को लेकर रणभूमि पर गिद्ध दृष्टि टिकाए गिद्धों के करतब को भारत ने इस बार चलने नहीं दिया। समय रहते ही रक्षा के क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा दिया गया था। इस बार की रक्षा खरीद में सैन्य उपकरण इन्हीं स्वदेशी आपूर्तिकर्ताओं से खरीदे जाएंगे।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कंट्री फर्स्ट वाली नीतियों ने रक्षा वैज्ञानिकों को इस कदर प्रोत्साहित किया कि भारत की प्रयोगशालाओं में एक से बढ़कर एक रक्षा उपकरण बनने लगे।यहां तक कि बुद्ध की धरती युद्ध के बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा जमा चुकी है।भारत रक्षा उत्पादन के मामले में इस कदर मजबूत हो चुका है कि पिछले साल 84 देशों को अपनी सीमा बचाने के लिए भारत का ही आसरा रहा। इन देशों ने भारत से युद्ध उपकरण खरीदे।इस कारण साल 2023-24 में भारत का रक्षा निर्यात 21 हजार करोड़ रूपया हुआ।