न्यूज़ डेस्क
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, “पूरी 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ बनाने का निर्णय लिया गया है। बेहतर निगरानी की सुविधा के लिए सीमा पर एक गश्ती ट्रैक भी बनाया जाएगा।”शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार अभेद्य सीमाएं बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, “सीमा की कुल लंबाई में से मोरेह, मणिपुर में 10 किमी की दूरी पर पहले ही बाड़ लगाई जा चुकी है। इसके अलावा, हाइब्रिड सर्विलांस सिस्टम के माध्यम से बाड़ लगाने की दो पायलट परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। वे अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में प्रत्येक 1 किमी की दूरी पर बाड़ लगाएंगे। इसके अलावा, मणिपुर में लगभग 20 किलोमीटर तक बाड़ लगाने के काम को भी मंजूरी दे दी गई है, जिसका काम जल्द ही शुरू होगा।”
सरकार ने भारत के सीमावर्ती गांवों के लिए ‘वाइब्रेंट विलेज’ कार्यक्रम भी शुरू किया है। एक अधिकारी ने कहा, पहले सीमावर्ती इलाकों में स्थित गांवों को देश का आखिरी गांव माना जाता था, लेकिन अब यह धारणा बदल गई है।अब भारत सरकार की नीति के मुताबिक ये गांव सीमा के पास के आखिरी गांव नहीं, बल्कि पहले गांव हैं
प्रधानमंत्री मोदी पहले ही कह चुके हैं कि जब सूरज पूर्व में उगता है तो उसकी पहली किरण सीमावर्ती गांव को छूती है और जब सूरज डूबता है तो उसकी आखिरी किरण का लाभ इस तरफ के गांव को मिलता है। नवीनतम कदम को अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड और मिजोरम तक फैली 1,643 किमी लंबी बिना बाड़ वाली भारत-म्यांमार सीमा की संवेदनशीलता और खतरों को देखते हुए महत्वपूर्ण माना जाता है।
वास्तव में, मणिपुर में 10 किलोमीटर की दूरी के अलावा, पहाड़ियों और जंगलों जैसे कठिन इलाकों से होकर गुजरने वाली भारत-म्यांमार सीमा बिना बाड़ वाली है। भारतीय सुरक्षा बलों को म्यांमार के चिन और सागांग क्षेत्रों में अपने छिपे हुए ठिकानों से चरमपंथी समूहों द्वारा हिट-एंड-रन ऑपरेशन चलाने से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में कठिन समय का सामना करना पड़ता है। म्यांमार की सीमा से नशीली दवाओं की आंतरिक तस्करी और वन्यजीवों के शरीर के अंगों की बाहरी तस्करी भी भारत के लिए प्रमुख चिंताओं में से एक रही है। बाड़ लगाने के निर्णय का कारण 3 मई, 2023 को मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई और आदिवासी कुकी-ज़ो समुदायों के बीच हुआ संघर्ष भी है।
इसके अलावा, पिछले एक दशक से मणिपुर सरकार म्यांमार के नागरिकों की “आमद” पर चिंता व्यक्त करती रही है। मणिपुर में हिंसा के बीच कुछ सौ म्यांमार नागरिकों को गृहयुद्ध से बचने के लिए राज्य में शरण लेते हुए पाया गया।
सितंबर 2023 में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने भारत में म्यांमार के नागरिकों की मुक्त आवाजाही पर जातीय हिंसा को जिम्मेदार ठहराया था और गृह मंत्रालय से फ्री मूवमेंट रिजीम (एफएमआर) को समाप्त करने का आग्रह किया था, जिसे 1 अप्रैल, 2020 को कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान निलंबित कर दिया गया था।
केंद्र की मोदी सरकार देश की सीमा सुरक्षा के साथ आंतरिक सुरक्षा को लेकर भी लगातार कोई ना कोई फैसला लेती रही है। गृह मंत्री अमित शाह कई मंचों पर कह चुके हैं कि भारत दुनियाभर से अपना दोस्ताना रिश्ता चाहता है, लेकिन देश की सीमा और नागरिकों की सुरक्षा से हम किसी तरह का समझौता नहीं करने वाले हैं। वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी पूरी दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ एक साथ आने का आह्वान करते रहे हैं।
दूसरी तरफ गृह मंत्री शाह भी कह रहे हैं कि भारत दुनिया भर के देशों के सामने समस्या का समाधान देने वाला देश बनकर उभरा है। लेकिन, आतंकवाद और इसके लिए मुहैया कराए जा रहे धन के खिलाफ अब सबको साथ आने की जरूरत है क्योंकि आतंकवाद अच्छा और बुरा नहीं, सिर्फ आतंकवाद होता है। ऐसे में देश की सीमाओं को अभेद्य बनाने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ा ऐलान किया है। भारत सरकार सीमाओं की बाड़ेबंदी करने जा रही है।
गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “मोदी सरकार अभेद्य सीमाएं बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत-म्यांमार सीमा पर 1,643 किलोमीटर लंबी बाड़ लगाने का फैसला किया गया है। सीमा पर बेहतर निगरानी की सुविधा के लिए एक गश्ती ट्रैक भी बनाया जाएगा।”
उन्होंने जानकारी देते हुए कहा, “मणिपुर के मोरेह में 10 किमी की दूरी पर पहले ही बाड़ लगाई जा चुकी है। इसके अलावा, दो पायलट परियोजनाएं हाइब्रिड सर्विलांस सिस्टम (एचएसएस) के माध्यम से बाड़ लगाने को क्रियान्वित किया जा रहा है। अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में प्रत्येक 1 किमी की दूरी पर बाड़ लगाएंगे। इसके अतिरिक्त, मणिपुर में लगभग 20 किलोमीटर तक बाड़ लगाने के काम को भी मंजूरी दे दी गई है, जिस पर जल्द ही काम शुरू हो जाएगा।”