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अडानी के जवाब पर हिंडेनवर्ग का तीखा हमला ,कहा राष्ट्रवाद का चोला ओढ़कर धोखाधड़ी जायज नहीं

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न्यूज़ डेस्क
अडानी समूह ने अब अपनी सफाई देने की शुरुआत की है। अमेरिकी रिसर्च कंपनी को अडानी समूह ने 413 पेज की एक रिपोर्ट भेजी है जिसमे बहुत सी बातें कही गई है। लेकिन उसमे जो सीधी बातें कही गई है वह यह है कि अमेरिकी फर्म ने भारत समेत अडानी समूह को बदनाम करने का प्रयास किया है। भारत की विकास गाथा और अडानी समूह की छवि को बदनाम करने का खेल है जो विल्कुल ही झूठ और मिथ्या पर आधारित है। यह भारतीय राष्ट्र पर एक चोट है। अडानी समूह ने और सी बहुत बातें अपनी रिपोर्ट में कही है। ऐसे में सवाल है कि क्या सचमुच यही सब मानकर अमेरिकी कंपनी ने ऐसा किया है ताकि भारत की छवि धूमिल हो जाए ? दूसरा सवाल है कि क्या दानी की कंपनी भारतीय राष्ट्र का परिचायक है ? क्या अडानी समूह पर हमला भारत पर हमला है ? क्या अडानी समूह पर झूठ का आरोप भारत पर झूठ का आरोप लगाने जैसा है ? अब आर्थिक और राजनीतिक गलियारों में इस पर भी बहस शुरू हो गई है।

कल से संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा है और विपक्ष इस मसले को उठाने की तैयारी भी कर रहा है। कांग्रेस की अपनी तैयारी है तो वाम दलों की अपनी तैयारी। सीताराम येचुरी ने तो पहले ही कह दिया है कि इस अडानी समूह की जांच सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में कराई जाए ताकि सच सामने आये। उधर एक दिन पहले कुछ इसी तरह की मांग सरकार से कर चुकी है। अब तृणमूल कांग्रेस भी संसद में इस मसले को उठाने की तैयारी में है। बजट सत्र में अचानक इस तरह के मुद्दे सरकार के लिए परेशानी की बात हो सकती है।

उधर ,आज हिंडेनवर्ग की तरफ से अडानी समूह को लेकर जो बयान आया है वह कम चौंकाने वाला नहीं। उसने तो अडानी समूह को और भी ग्रिल किया है और चुनौती भी दे डाली है। अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग ने अपने जवाब में कहा है कि राष्ट्रवाद का चोला ओढ़कर धोखाधड़ी करने को सही नहीं ठहरा सकते। अडानी ग्रुप ने असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश के तहत आरोपों का जवाब देने की जगह अडानी ग्रुप राष्ट्रवाद का सहारा ले रहा है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा, “हम मानते हैं कि भारत एक वाइब्रेंट डेमोक्रेसी है और एक सुपरपावर के तौर पर उभर रहा है। इसके साथ ही हम यह भी मानते हैं कि अडानी ग्रुप भारत के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। यह ग्रुप राष्ट्रवाद की आड़ में देश को लूट रहा है। ”

हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा, “हमारा मानना है कि फ्रॉड किसी के द्वारा भी किया जाए वह फ्रॉड ही होता है, आप इसे देश पर हमला बताकर बच नहीं सकते।” अमेरिकी फर्म ने कहा कि उसने अडानी ग्रुप से 88 सवाल पूछे थे जिसमें से समूह ने 62 सवालों के जवाब नहीं दिए। इनमें से कई सवाल कारोबारी लेन-देन की प्रवृत्ति और हितों के टकराव के बारे में पूछे गए थे। गौतम अडानी ग्रुप ने इनका कोई जवाब नहीं दिया, उन्होंने जो जवाब दिया है उसमें काफी हद तक हमारी रिपोर्ट की पुष्टि होती है।”

बता दें कि पिछले अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी कर अडानी समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए। आलम ये हुआ कि रिपोर्ट जारी होने के बाद ही अडानी समूह के शेयर औंधे मुँह गिरते काले गए और समूह को करीब साढ़े चार लाख करोड़ का घाटा हो गया। अडानी धनी व्यक्तियों की सूची में जहाँ तीसरे स्थान पर थे ,सातवे स्थान पर खिसक गए।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडानी ग्रुप की कंपनियों में स्टॉक मैनिपुलेशन और एकाउंटिंग फ्रॉड किया गया है। इसके साथ ही टैक्स हैवन वाले देशों का अवैध इस्तेमाल कर पर्सनल संपत्ति बनाने में मदद हासिल की गई है।

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