शोले वर्ष 1975 की एक्शन-एडवेंचर ,डांस और डायलॉग से भरी फिल्म थी।इस फिल्म का निर्देशन रमेश सिप्पी ने किया था और फिल्म के निर्माता जी.पी सिप्पी थे। इस आइकोनिक फिल्म के मुख्य किरदार अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र हैं, जिन्होंने फिल्म में दो पक्के दोस्त और क्रिमिनल जय-वीरू का किरदार निभाया था।इसके अलावा इस फिल्म में पूर्व इंस्पेक्टर ठाकुर बलदेव सिंह की भूमिका में संजीव कुमार और खलनायक गब्बर सिंह की भूमिका में अमजद खान थे।बात हीरोइनों की की जाय तो जया भादुड़ी और हेमा मालिनी मुख्य भूमिका में थी। आज फिल्म को रिलीज के पुरे 49 वर्ष हो गए हैं।
शोले फिल्म 1975 ईस्वी में 15 अगस्त को रिलीज हुई थी और मिनर्वा सिनेमाघर में 286सप्ताह यानी 5 वर्ष से कुछ ज्यादा समय तक लगी रही थी। उस समय देश के ज्यादातर थियेटरों में सबसे ज्यादा समय तक चलने का रेकॉर्ड बनाने वाली फिल्म शोले ही थी। थी। यह फिल्म अपने समय की सबसे ज्यादा आमदनी करने वाली फिल्म थी।
इस फिल्म की पूरी शूटिंग कर्नाटक के बैंगलोर के निकट रामनगर के चट्टानी एरिया में हुई थी।इस फिल्म को बनाने में ढाई वर्ष लगे थे।
जब फिल्म शोले पहली बार रिलीज हुई तो शोले को नकारात्मक आलोचनात्मक समीक्षा और कमजोर व्यावसायिक प्रतिक्रिया मिली, लेकिन मुंह-ज़बानी प्रचार ने इसे बॉक्स ऑफिस पर सफल होने में मदद की।इसके बाद तो इसने देश के ज्यादातर थियेटरों में सबसे लंबे समय तक चलने वाले फिल्म का रिकॉर्ड बनाना ही शुरू कर दिया।
बात शोले फिल्म की कहानी को लेकर की जाय तो इस फिल्म में जय (अमिताभ बच्चन)और वीरू (धर्मेंद्र)छोटे-मोटे बदमाश हैं, जिन्हें जेल से रिहा किया गया है, जहाँ उन्हें एक पूर्व इंस्पेक्टर ठाकुर बलदेव सिंह (संजीव कुमार)द्वारा ₹50,000 के इनामी कुख्यात डकैत गब्बर सिंह को पकड़ने के लिए भर्ती किया जाता है ।चूंकि जय और वीरू ने ठाकुर की बहादुरी की देखते हुए उसे एक ट्रेन डकैती से बचाया था, जिसके कारण ठाकुर उन्हें अतिरिक्त ₹20,000 के इनाम के साथ मिशन के लिए भर्ती करता है। दोनों रामगढ़ में ठाकुर के गाँव के लिए निकलते हैं, जहाँ गब्बर रहता है और गाँव वालों को आतंकित करता है।
रामगढ़ पहुंचने के बाद, वीरू एक बातूनी घोड़ा-गाड़ी चालक बसंती (हेमा मालिनी) के प्यार में पड़ जाता है। जय, ठाकुर की विधवा बहू राधा (जया भादुड़ी) से मिलता है और उससे प्यार करने लगता है, जो बाद में उसके प्रति अपनी भावनाएं प्रकट करती है। दोनों गब्बर के डकैतों को नाकाम करते हैं, जो पैसे ऐंठने आए थे। होली के त्यौहार के दौरान , गब्बर का गिरोह ग्रामीणों पर हमला करता है, जहां वे जय और वीरू को घेर लेते हैं, लेकिन दोनों हमला करने और उन्हें गांव से भगाने में कामयाब हो जाते हैं। दोनों ठाकुर की निष्क्रियता से परेशान हैं और मिशन को रद्द करने पर विचार करते हैं क्योंकि जब जय और वीरू को घेर लिया गया था, तब ठाकुर की पहुंच में एक बंदूक थी, लेकिन उसने उनकी मदद नहीं की।लेकिन जब ठाकुर ने खुलासा किया कि कुछ साल पहले, गब्बर ने राधा और रामलाल को छोड़कर उसके परिवार के सदस्यों को मार डाला था।और बदला लेने के क्रम में इसका भी दोनो हाथ काट लिया था।
यह महसूस करते हुए, जय और वीरू शपथ लेते हैं कि वे गब्बर को जीवित पकड़ लेंगे। दोनों की वीरता के बारे में जानने के बाद, गब्बर स्थानीय इमाम रहीम चाचा के बेटे अहमद को मार देता है और गांव वालों को मजबूर करता है कि वे जय और वीरू को उसके सामने आत्मसमर्पण करवा दें। गांव वाले मना कर देते हैं। इसके जवाब में जय और वीरू गब्बर के कुछ गुंडों को मार देते हैं। गब्बर अपने आदमियों से वीरू और बसंती को पकड़वाकर जवाबी कार्रवाई करता है। तब जय आकर गब्बर के ठिकाने पर हमला करता है, मारपीट के बीच तीनों डाकुओं को धत्ता बताते हुए गब्बर के ठिकाने से भागने में सफल हो जाते हैं। एक चट्टान के पीछे से गोली चलाते हुए, जय और वीरू के पास गोला-बारूद लगभग खत्म हो जाता है। तब जय वीरू को अपनी शपथ देकर बसंती के साथ वहां से सुरक्षित भागकर रामगढ़ जाने के लिए मजबूर करता है और खुद गब्बर के डकैतों से मुकाबला करता है।
डकैतों के साथ मुठभेड़ में जय बुरी तरह घायल हो जाता है।जय अपनी आखिरी गोली से पुल पर डायनामाइट की छड़ें जलाकर खुद को बलिदान कर देता है।इसमें गब्बर के आदमी मारे जाते हैं।
बसंती को सुरक्षित पहुंचाकर वीरू वापस जय की मदद के लिए लौटता है, लेकिन तबतक जय मर जाता है। जय के इस प्रकार मर जाने से राधा और वीरू तबाह हो जाते हैं।
क्रोधित होकर वीरू गब्बर के अड्डे पर हमलाकर उसके बचे हुए लोगों को मार डालता है। यहां वह गब्बर को पकडर पीटना शुरू करता है। वीरू गब्बर को पीट-पीटकर लगभग मार डालता है कि ठाकुर वहां प्रकट होता है और वीरू को गब्बर को जिंदा सौंपने की जय की कसम की याद दिलाता है।तब विदुर यह कहकर गब्बर को ठाकुर के हवाले कर देता है कि मैने अगर यह कसम की हितिब्ती उसे तोड़ देता।लेकिन यह कसम मेरे दोस्त जय ने ली थी।इसके बाद ठाकुर अपने स्पाइक -सोल वाले जूतों से गब्बर और उसके हाथों को गंभीर रूप से घायल कर देता है। इस बीच पुलिस वहां आती है और गब्बर को उसके अपराधों के लिए गिरफ्तार कर लेती है।
जय के अंतिम संस्कार के बाद, वीरू रामगढ़ से निकल जाता है और बसंती को ट्रेन में अपना इंतजार करते हुए पाता है।
सार्वकालिक सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की सूची में शामिल शोले नृत्य,संगीत, डर ,हंसी मजाक,गंभीरता और डायलॉग के लिए जाना जाता है। आज भी लोगों को सोले का वह डायलॉग याद है ,जब गब्बर कहता है कि जब यहां से 100 किलोमीटर दूर बच्चे रात में जगते हैं, तो उसकी मां कहती है बेटे सो जा नहीं तो गब्बर आ जाएगा और अब तेरा क्या होगा कालिया !
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