न्यूज़ डेस्क
चुनावी बांड को लेकर कांग्रेस ने मोदी सर्कार पर बड़ा हमला किया है। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार चुनावी बॉन्ड के जरिए अपने संदिग्ध लेनदेन को छिपाने के लिए हमारे देश के सबसे बड़े बैंक को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “देश के सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड की मोदी सरकार की ‘काला धन रूपांतरण’ योजना को “असंवैधानिक”, “आरटीआई का उल्लंघन” और “अवैध” करार देते हुए रद्द कर दिया था और एसबीआई को 6 मार्च तक डाटा विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा था। लेकिन बीजेपी चाहती है कि इसे लोकसभा चुनाव के बाद किया जाए।”
उन्होंने आगे लिखा, इस लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म होगा और एसबीआई 30 जून तक डेटा साझा करना चाहता है। बीजेपी इस फर्जी योजना की मुख्य लाभार्थी है। खड़गे ने इस मुद्दे पर सवाल पूछे हैं।
खड़ेग ने की सवाल भी किये हैं। उन्होंने पूछा है कि क्या मोदी सरकार आसानी से बीजेपी के संदिग्ध सौदों को नहीं छिपा रही है, जहां राजमार्गों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, बिजली संयंत्रों आदि के अनुबंध इन अपारदर्शी चुनावी बॉन्डों के बदले मोदी जी के करीबियों को सौंप दिए गए थे?
विशेषज्ञों का कहना है कि दानदाताओं की 44,434 स्वचालित डेटा प्रविष्टियों को केवल 24 घंटों में प्रकट और मिलान किया जा सकता है, फिर इस जानकारी को एकत्रित करने के लिए एसबीआई को 4 महीने और क्यों चाहिए?
खड़गे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी बिल्कुल स्पष्ट थी कि चुनावी बॉन्ड योजना अपारदर्शी, अलोकतांत्रिक और समान अवसर को नष्ट कर देने वाली थी। लेकिन मोदी सरकार, पीएमओ और एफएम ने बीजेपी का खजाना भरने के लिए हर संस्थान – आरबीआई, चुनाव आयोग, संसद और विपक्ष पर बुलडोजर चला दिया। अब हताश मोदी सरकार, तिनके का सहारा लेकर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विफल करने के लिए एसबीआई का उपयोग करने की कोशिश कर रही है!
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट से चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए 30 जून तक की मोहलत मांगी है। एसबीआ ने अपने सुप्रीम कोर्ट को दी गई अपनी अर्जी में कहा कि 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक विभिन्न पार्टियों को चंदे के लिए 22217 इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए गए हैं। भुनाए गए बॉन्ड को हर फेज के आखिर में अधिकृत ब्रांच द्वारा सीलबंद लिफाफे में मुंबई स्थित मेन ब्रांच में जमा किए गए थे। एसबीआई ने कहा कि दोनों सूचना साइलो की जानकारी इकट्ठा करने के लिए 44,434 सेटों को डिकोड करना होगा। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय 3 हफ्ते का समय पूरी प्रोसेस के लिए पर्याप्त नहीं है।
एसबीआई ही इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करती है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार दिया था। शीर्ष अदालत ने एसबीआई को 6 मार्च 2024 तक इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को देने को कहा था।