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16 साल का लंबा इंतजार, जेल से रिहा हुए बिहार के बाहुबली आनंद मोहन सिंह

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बीरेंद्र कुमार झा

बिहार में गोपालगंज के पूर्व जिलाधिकारी और वरिष्ठ आईएएस जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन सिंह आखिरकार जेल से रिहा हो गए। वह बीते 16 साल से सहरसा जेल में बंद थे।उनकी रिहाई बिहार सरकार द्वारा लोक सेवक हत्या कानून में संशोधन की वजह से संभव हो सकी है।जेल से छूटने के बाद वह सीधे पंचगछिया गांव के लिए रवाना हो गए हैं।उनकी रिहाई के मौके पर बड़ी संख्या में समर्थक जेल पहुंचे हुए थे।

बेटे की सगाई के बाद पेरोल की समाप्ति पर कल शाम ही लौटे थे जेल

पूर्व सांसद आनंद मोहन अपने बेटे की सगाई के लिए 15 दिन के पैरोल पर जेल से बाहर आए थे और पैरोल खत्म होने पर उन्होंने बुधवार को ही जेल में हाजिरी दी थी।इसके बाद रात भर जेल में रहने के बाद उन्हें गुरुवार की अल सुबह हमेशा के लिए रिहा कर दिया गया। लोक सेवक हत्या कानून में संशोधन और जेल मैनुअल में संशोधन के बाद आनंद मोहन के साथ ही 27 अन्य कैदियों ,जिसमें एक दोषी की मृत्यु हो गई के रिहाई की बात सामने आई थी ।आज सुबह इन सबकी रिहाई हो गई है।

आनंद मोहन की रिहाई से राजनीतिक माहोल गर्म

आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार से लेकर दिल्ली तक सियासी माहौल गर्म है।गौरतलब है कि करीब 17 साल पहले बिहार में गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या हुई थी।इस मामले में मुख्य आरोपी और बाहुबली सांसद आनंद मोहन सिंह को आजीवन कारावास की सजा हुई थी। हालांकि हत्या के मामले में उनकी सजा पूरी हो गई थी।

लोक सेवक हत्या का मामला होने के कारण नहीं हो पा रही थी रिहाई

लोक सेवक की हत्या का मामला होने की वजह से आनंद मोहन की रिहाई नहीं हो पा रही थी और वह करीब 16 साल से सहरसा जेल में बंद थे।हालांकि बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बनने के बाद उन्हें कई बार पैरोल भी मिला है।लेकिन अब बिहार सरकार ने उन्हें जेल से आजाद कराने के लिए बिहार के लोक सेवक हत्या कानून में संशोधन किया है जिस वजह से वे आज अहले सुबह जेल से उनकी रिहाई संभव ही सकी

पटना हाईकोर्ट में रिहाई के विरुद्ध दर्ज हुई है एक याचिका

पूर्व जिलाधिकारी जी कृष्णैया हत्या कांड के दोषी बाहुबली नेता आनंद मोहन भले ही आज सुबह तड़के ही सहरसा जेल से रिहा हो चुके हैं ,लेकिन इनकी रिहाई के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में अमर ज्योति नाम के एक व्यक्ति ने कल ही याचिका दायर की थी।इस याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने जेल मैनुअल 2012 के नियम 481 (i) (क ) में संशोधन किया है और इसमें से एक लाइन ड्यूटी पर तैनात लोकसेवक की हत्या को हटा दिया गया है। बिहार में पहले प्रावधान था कि लोक सेवक की हत्या के दोषी को जेल से रिहाई नहीं मिलेगी,लेकिन बिहार सरकार द्वारा नियमों में बदलाव के साथ ही आनंद मोहन के साथ अन्य 26 लोगों को भी जेल से रिहा किया जा रहा है। बिहार सरकार के इस फैसले से सरकारी सेवकों का मनोबल गिरा है।we ड्यूटी पर काम करने से डरेंगे। इस कारण राज्य को परेशानी उठानी होगी। लेकिन इससे पहले कि इस याचिका पर सुनवाई हो पाती, आनंद मोहन की आज तड़के सुबह ही जेल से रिहाई हो चुकी है।

 

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