न्यूज़ डेस्क
बिहार में पारिवारिक राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए नई पीढ़ी के युवा मैदान में ताल ठोकते नजर आ रहे हैं। कोई अपने पिता की विरासत को बचाने की जुगत में हैं तो कोई अपनी राजनीति को चमकाने में लगे हैं। कही नेताओं की पुत्रियां ताल थोक रही है तो कही नेताओं के बेटे चुनावी मैदान में खड़े हैं। कोई दलबदल कर राजनीति को आगे बढ़ाने की कोशिश करता दिख रहा है तो कोई दल में रहते हुए ही नयी राजनीति के जरिये खुद को स्थापित करने को तैयार है। इन सब के बीच बिहार की जनता मौन है। वह सबके साथ भी है और सबके खिलाफ भी।
आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए पहले से ही उनके बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति में सक्रिय हैं, अब लोकसभा चुनाव में उनकी दो बेटियां भी चुनावी रण में ताल ठोंक रही हैं। पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती एक बार फिर बीजेपी के रामकृपाल यादव से मुकाबले में हैं। पिछले चुनाव में रामकृपाल ने मीसा भारती को हरा दिया था।
लालू प्रसाद की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य ने भी इस चुनाव से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर दी है। इस चुनाव में सारण सीट पर उनका मुकाबला बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी से है। सारण से लालू 2004 और 2009 में सांसद रहे। रोहिणी की मां राबड़ी देवी यहां से 2014 में चुनाव हार गई थीं। रोहिणी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं।
इधर, लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान भी इस बार अपने पिता दिवंगत रामविलास पासवान की कर्मभूमि हाजीपुर को अपना कर्मक्षेत्र बनाने के लिए हाजीपुर से चुनाव मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं। पासवान फिलहाल जमुई से सांसद हैं। हाजीपुर से रामविलास पासवान नौ बार सांसद थे।
इस बीच, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सासाराम के सांसद रहे दिवंगत मुनिलाल की सियासी विरासत को संभालने के लिए बीजेपी ने उनके बेटे शिवेश राम को सासाराम से चुनावी मैदान में उतार दिया है। फिलहाल यहां से छेदी पासवान सांसद हैं, जिनका पार्टी ने इस बार टिकट काट दिया।
पूर्व सांसद सी.पी. ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर भी इस बार भूमिहार बहुल नवादा से चुनावी मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं। इधर, जेडीयू के नेता और बिहार के मंत्री अशोक चौधरी की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए उनकी बेटी शांभवी चौधरी समस्तीपुर से मोर्चे पर डटी हुई हैं।
पिछले दिनों जेडीयू नेता महेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है। बताया जाता है कि सन्नी समस्तीपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। वैसे, बिहार में यह पहली मर्तबा नहीं है कि पिता की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए उनके पुत्र और पुत्रियां चुनावी मैदान में उतरे हैं। कई वर्तमान सांसद भी अपने पिता के सियासी विरासत को ही आगे बढ़ा रहे हैं। इस चुनाव में तो कई पार्टियों ने अब तक अपने कोटे के सभी सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा भी नहीं की है।
बिहार में लोकसभा चुनाव के सभी सात चरणों में मतदान होना है। ऐसे में भले ही पिता की विरासत संभालने को लेकर पुत्र, पुत्रियां चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हों, लेकिन मतदाता किसे विरासत आगे बढ़ाने की अनुमति देते हैं, इसका पता तो चार जून को चुनाव परिणाम आने पर ही चलेगा।