Homeदेशढहता लोकतंत्र : जो पहले बूथ लुटते थे ,बाद ने सदन में...

ढहता लोकतंत्र : जो पहले बूथ लुटते थे ,बाद ने सदन में पहुँचने लगे —-

Published on


अखिलेश अखिल 

               दरअसल, राजनीतिक दलों में आपराधिक तत्वों की घुसपैठ सबसे पहले बूथ लूट की प्रक्रिया से शुरू हुई थी। जो अपराधी पहले नेताओं के अंगरक्षक थे वे अब चुनाव में घुसपैठ करने लगे थे। शुरू के तीन आम चुनाव में हत्या और बूथ कब्जाने की घटना न के बराबर थी लेकिन 1962 के तीसरे आम चुनाव के दौरान बिहार में 12 तथा असम, हरियाणा, आंध्र, मध्य प्रदेश और बंगाल में एक दो मतदान केंद्रों पर दोबारा चुनाव हुए थे। किन्तु कोई हिंसक घटनायें नहीं घटी थीं। लेकिन उपद्रव की वजह से ही इन इलाकों में दोबारा चुनाव करने पड़े थे। लेकिन 71 के बाद यह प्रवृति बढ़ती चली गई। गुंडा गिरोह द्वारा चुनावी प्रक्रिया में हक्षतेप की प्रवृत्ति पांचवे आम चुनाव में 1971 के को मिली। बिहार में आठ मामले सामने आये। हरियाणा में एक मामले बूथ लूट के थे। बिहार में गुंडा गिरोह ने तब कई मतपेटियों को लूट लिया था। इस वर्ष 66 मतदान केन्द्रों पर दुबारा मतदान कराने पड़े थे।
                दरअसल लोकतंत्र के अवसान की कहानी यहीं से शुरू हो गई। फिर 77 के चुनाव में बूथ लूटने की कई घटनाएं सामने आयी। बिहार एक चौथाई मतदान केंद्र इसके चपेट में आये। दक्षिण भारत में भी यही कहानी देखने को मिली। और 79 से अपराधियों का राजनीति में प्रवेश शुरू हो गया। और आज की हालत ये है कि सदन में इस बात की चर्चा होती है कि सदन अब कितने सदस्य हैं जिन पर कोई दाग नहीं है।          
          ऐसा नहीं है कि लोकतंत्र को दागदार होते देख नेताओं में चिंता नहीं थी। चिंता तो अदालतों ने भी की और चुनाव आयोग ने भी। लेकिन तमाम चिंताएं और किए गए प्रयास ढाक के तीन पात ही साबित हुए हैं। इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई 2002 को संविधान के अनुच्छेद 19-1 ए के तहत देश के सभी नागरिकों को संविधान प्रदत्त अधिकार की व्याख्या करते हुए व्यवस्था दी थी कि लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए मतदाताओं को संसद या विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों का इतिहास जानने का अधिकार है। लेकिन कुछ भी तो नहीं हुआ। इस पर पहल करने से सभी दल भागते रहे।
               फिर जनप्रतिनिधि कानून में भी संशोधन हुए। जनप्रतिनिधि 1951 की धरा 8 के तहत कुछ विशेष अपराधों के सजायाफ्ता व्यक्ति को निर्धारित समय के लिए संसद या विधान सभाओं की सदस्यता के लिए अयोग्य माना गया। लेकिन कुछ मामलों को छोड़ दें तो सब कुछ वैसे ही चलता रहा। नेताओं ने अदालती सुनवाई को आगे बढ़ाने का खेल शुरू किया ताकि न तो अपराध की पुष्टि हो सके और न ही सजा की। इसके बाद न्यायमूर्ति एच आर खन्ना, नानी पालकीवाला और न्यायमूर्ति लेटिन की समिति ने सिफारिश की थी कि ऐसे व्यक्ति को चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी जाए जिन्हें किसी अपराध मामलों में दोषी पाया गया हो या जिनके खिलाफ किसी फौजदारी अदालत ने आरोप तय किये हों। लेकिन सब कुछ वैसे ही चल रहा है जैसा नेता चाहते हैं।
             अभी पिछले साल 2021 में ही सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी, कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी, सीपीआई और एलजेपी पर एक एक लाख रुपयों का जुर्माना लगाया था। सीपीएम और एनसीपी पर पिछले साल बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान अदालत का आदेश न मानने के लिए पांच लाख का जुर्माना लगाया गया। उस समय अदालत ने आदेश दिया था कि उम्मीदवारों को पार्टियों द्वारा चुनाव लड़ने के लिए चुने जाने के 48 घंटों के अंदर या नामांकन भरने से कम से कम दो सप्ताह पहले अपनी खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों की जानकारी पार्टी की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर देनी चाहिए। लेकिन किसी भी पार्टी ने ऐसा नहीं किया। ताजा आदेश में अदालत ने पार्टियों को कहा है कि अब से उम्मीदवार को चुन लेने के 48 घंटों के अंदर अंदर ही यह जानकारी उन्हें अपनी वेबसाइट पर डालनी होगी। उन्हें अपनी वेबसाइट के होमपेज पर आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए अलग से इंतजाम करना होगा। लेकिन होता कुछ भी नहीं दिखता।
मौजूदा सच तो यही है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद के 78 मंत्रियों में से 33 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। क्या ये सब सरकार को नहीं मालूम है। लेकिन सरकार और सरकार चलने वाली पार्टी भी क्या करे। दागी नेताओं को मंत्री नहीं बनाने पर वह विद्रोह कर सकता है,पार्टी छोड़ सकता है,सरकार गिर सकती है। ऐसे में तो यही कहा जा सकता है कि लोकतंत्र भले ही दागी हो जाए, लेकिन सरकार नहीं गिरनी चाहिए।
        पुनश्च : लोकतंत्र में राजनीति का यह खेल भरमाता भी है और लुभाता भी है। लेकिन दागदार होते लोकतंत्र में आज भी कई ऐसे नेता है जो पाक साफ़ हैं और जिनकी ईमानदारी सराहनीय है। यह सिक्के का दूसरा पहलू है लेकिन इस पहलू की चमक दागी नेताओं के सामने धूमिल सी होने लगी है।

Latest articles

भक्तों से झड़प, शोभायात्रा में धमाका और पथराव…रामनवमी पर बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा

पश्चिम बंगाल में एक बार फिर से रामनवमी के दौरान हिंसा की घटना देखने...

महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग पर बीजेपी, एकनाथ शिंदे और अजित पवार के बीच फंसी बात

19 अप्रैल को देश के विभिन्न हिस्सों में पहले चरण का मतदान होगा, लेकिन...

Weather Update Today 18 April 2024: कहीं लू, कहीं ओले-बारिश… इन राज्यों में बदलेगा मौसम, IMD ने जारी किया अलर्ट

Weather Update: उत्तर पश्चिम भारत का मौसम एक बार फिर से करवट बदलने जा...

IPL 2024 GT vs DC: गुजरात की शर्मनाक हार, दिल्ली ने 8.5 ओवरों में लक्ष्य को किया हासिल

न्यूज डेस्क आईपीएल 2024 के 32वें मुकाबले में दिल्ली कैपिटल्स ने गुजरात टाइटंस के खिलाफ...

More like this

भक्तों से झड़प, शोभायात्रा में धमाका और पथराव…रामनवमी पर बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा

पश्चिम बंगाल में एक बार फिर से रामनवमी के दौरान हिंसा की घटना देखने...

महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग पर बीजेपी, एकनाथ शिंदे और अजित पवार के बीच फंसी बात

19 अप्रैल को देश के विभिन्न हिस्सों में पहले चरण का मतदान होगा, लेकिन...

Weather Update Today 18 April 2024: कहीं लू, कहीं ओले-बारिश… इन राज्यों में बदलेगा मौसम, IMD ने जारी किया अलर्ट

Weather Update: उत्तर पश्चिम भारत का मौसम एक बार फिर से करवट बदलने जा...