Homeदेशआखिर चुनाव के वक्त ही महिला आरक्षण पर क्यों जागती है बीजेपी?...

आखिर चुनाव के वक्त ही महिला आरक्षण पर क्यों जागती है बीजेपी? कांग्रेस ने  उठाए सवाल !

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न्यूज़ डेस्क 

आगामी संसद के विशेष सत्र को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी और मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने कहा है कि खबरे इस तरह की आ रही है कि विशेष सत्र जो 18 से 22 सितम्बर से होने हैं उसमे महिला आरक्षण विधेयक लाने की सम्भावना है। अगर ऐसा है तो यह अच्छी बात है लेकिन बीजेपी को यह सब चुनाव के समय ही क्यों याद आता है।    
            बता दें कि  विधेयक, जो महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान करता है, 2010 में राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था, लेकिन लोकसभा द्वारा इसे मंजूरी नहीं दिए जाने के बाद यह रद्द हो गया। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा ने कहा, “इस पर सोनिया गांधी जी ने कई बार पत्र लिखा था और आश्वासन दिया था कि कांग्रेस पार्टी महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करेगी… शुरू से ही सोनिया गाँधी  चाहती थीं कि यह विधेयक संसद में लाया जाए।”
                 शैलजा ने कहा “लेकिन, बीजेपी इसे क्यों नहीं लाए? बीजेपी और मोदी की बेचैनी देखिए, उनकी कमजोरी सामने आ रही है। कभी-कभी वे समिति का गठन कर रहे हैं, एजेंडे का खुलासा न करते हुए विशेष सत्र बुला रहे हैं, या इंडिया, भारत के बारे में बात कर रहे हैं।”
                    शैलजा चुनावी राज्य छत्तीसगढ़ की प्रभारी भी हैं। उन्होंने कहा, “जब पांच राज्यों में चुनाव करीब आ रहे हैं। तब केंद्र सरकार एलपीजी सिलेंडर की कीमत 200 रुपये कम करने के बारे में सोचा। यह स्पष्ट है कि वे चुनाव के लिए मुद्दे गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।”
                       महिला कांग्रेस प्रमुख नेट्टा डिसूजा ने भी कहा, “कांग्रेस हमेशा महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए खड़ी रही है। यह देश में कांग्रेस ही है, जिसने स्थानीय निकायों में पहले 33 प्रतिशत और फिर 50 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करके महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया है।”
               बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, “हम सभी जानते हैं कि कांग्रेस ने विधेयक पेश किया था, हमने इसे राज्यसभा में मंजूरी दे दी थी, लेकिन लोकसभा में हमारे पास संख्या नहीं थी।”
             डिसूजा ने कहा, “बीजेपी को सत्ता में आए साढ़े नौ साल हो गए हैं और वे अभी तक यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक इंच भी आगे नहीं बढ़े हैं कि विधेयक पारित हो जाए।” उन्होंने कहा, “यह सिर्फ महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश है… पिछले साढ़े नौ साल में सरकार ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उससे एक महिला के लिए घर संभालना वाकई मुश्किल हो गया है। सरकार विफल हो गई है और वह महिलाओं को लुभाने की कोशिश कर रही है।”
               उन्होंने कहा कि “हमने पिछले साढ़े नौ सालों में महिलाओं से संबंधित हर मुद्दे पर सरकार की असंवेदनशीलता देखी है, यहां तक कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की बढ़ती दर भी देखी है।”
              बता दें कि महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का विधेयक पहली बार 1996 में एच.डी. देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पेश किया गया था। कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने 2008 में इस कानून को फिर से पेश किया, जिसे आधिकारिक तौर पर संविधान (एक सौ आठवां संशोधन) विधेयक के रूप में जाना जाता है।

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