बीरेंद्र कुमार झा
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के लिए चल रहे आंदोलन ने अब हिंसात्मक रुख अख्तियार कर लिया है। इस बीच महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने आंदोलन को शांत करने के लिए तीन सूत्री फार्मूले पर कदम बढ़ाने का फैसला लिया है। राज्य की कई हिस्सों में सोमवार को मराठा आंदोलन हिंसक हो गया और एनसीपी के विधायक प्रकाश सोलंकी के आवास पर भीड़ ने हमला बोल दिया।यू कई गाड़ियों को भी आपके हवाले कर दिया गया इस बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मर मन इस मीटिंग में तीन फैसले हुए हैं,जिस पर एकनाथ शिंदे सरकार अमल करके मराठा आंदोलन को शांत करने की योजना बना रही है।
मराठा आरक्षण को लेकर सरकार के कदम
मराठा आंदोलन को शांत करने के लिए शिंदे सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के तहत पहला कदम यह है कि रिटायर्ड जस्टिस संदीप शिंदे कमेटी के सिफारिशों के आधार पर मराठा के लोगों को तत्काल कुनबी जाति का सर्टिफिकेट दिया जाए।महाराष्ट्र में यह बिरादरी ओबीसी के तहत आती है। इसके बाद दूसरा कदम यह होगा कि मराठा आरक्षण की बहाली के लिए सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से पक्ष रखा जाय।सरकार ने 12% आरक्षण शिक्षण संस्थानों में और 13% आरक्षण नौकरियों में मराठाओं को देने का फैसला लिया था, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
निजाम के राज में कुनबी की सूची में शामिल मराठे को ही मिलेगा फायदा
कुनबी जाति का सर्टिफिकेट पाने वाले मराठा समुदाय के लोगों को ओबीसी कोटे का फायदा मिलेगा। हालांकि यह सर्टिफिकेट उन्हीं लोगों को मिलेगा जिनका जिक्र निजाम के राज के दौरान रिकार्ड में कुनबी के तौर पर था।मराठवाड़ा क्षेत्र में निजाम के शासन के दौरान मराठा समुदाय के एक बड़े वर्ग को कुनबी के तौर पर जाना जाता था और इसका रिकॉर्ड भी पाया गया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि जस्टिस संदीप शिंदे की कमिटी ने शुरुआती रिपोर्ट सौंप दी है।इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कमिटी ने 17.02 मिलियन दस्तावेजों की जांच की। इसमें से 11530 दस्तावेज उपयुक्त पाए गए हैं, जिसमें कुनबी का जिक्र है।
मराठा के पिछड़े होने के आधार तय करने के लिए होगी विस्तृत स्टडी
मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि इसी रिकॉर्ड के आधार पर रेवेन्यू डिपार्टमेंट की ओर से पात्र लोगों को कुनबी जाति का सर्टिफिकेट दिया जाएगा।उन्होंने कहा कि यह काम मंगलवार से शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई भी शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय को कैसे पिछड़ा माना जाए इसके लिए एक विस्तृत स्टडी भी होगी। यह काम टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज से करवाया जायेगा।