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हम गठबंधनों पर कुछ नहीं कर सकते,इंडिया पर रोक की मांग पर चुनाव आयोग की दो टूक

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बीरेंद्र कुमार झा
इंडिया गठबंधन के नाम पर सवाल उठाने वाली याचिका को लेकर चुनाव आयोग ने जवाब दिया है।दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में चुनाव आयोग ने बताया कि वह राजनीतिक दलों के गठबंधनों को रेगुलेट नहीं कर सकता है।आयोग ने बताया कि उन्हें जनप्रतिनिधि अधिनियम या संविधान के तहत रेगुलेटरी संस्था के रूप में मान्यता नहीं है।यह हलफनामा उस याचिका के जबाव में दिया गया है, जिसमें चुनाव आयोग से विपक्षी गठबंधन को इंडिया नाम का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग उठाई गई थी।गौरतलब है कि आगामी लोकसभा चुनाव में 11 अगस्त 2023 को 26 विपक्षी दलों ने इंडिया गठबन्धन बनाया था।सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2023 को 26 राजनीतिक दलों को संक्षिप्त नाम उपयोग करने से रोकने की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।

2021 के फैसले का हवाला

चुनाव आयोग ने अपने ताजा हलफनामा में 2021 के डॉक्टर जॉर्ज जोसेफ बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में केरल हाई कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है। इसके मुताबिक चुनाव आयोग को जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 29 ए के तहत किसी भी राजनीतिक दल के निकायों या व्यक्तियों के संघों को रजिस्टर करने का अधिकार दिया गया है,जबकि राजनीतिक गठबंधनों को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 (आरपी एक्ट )या संविधान के तहत रेगुलेटेड संस्थाओं के रूप में मान्यता नहीं दी गई है।डॉक्टर जॉर्ज जोसेफ केस में केरल हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को राजनीतिक गठबंधन एलडीएफ ,यूडीएफ या एनडीए के नाम के संबंध में निर्देश देने से इनकार कर दिया था।कोर्ट ने कहा था कि आरपी एक्ट के तहत राजनीतिक गठबंधन कानूनी इकाई नहीं है।

मांगा गया था जवाब

गिरीश भारद्वाज द्वारा दायर याचिका में कहा गया है की 26 विपक्षी दल अगले साल आगामी लोकसभा चुनाव के लिए हमारे देश के नाम का अनुच्छेद लाभ उठाना चाहते हैं। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की बेंच ने 4 अगस्त 2023 को केंद्र ,चुनाव आयोग और 26 विपक्षी दलों से जवाब मांगा था।भारतीय चुनाव आयोग ने हलफनामा में यह भी कहा है कि उसके पास केवल चुनाव से संबंधित मामलों को देखने का अधिकार है ।भारद्वाज ने अपनी याचिका में यह भी जलील दी थी कि उन्होंने 19 जुलाई को चुनाव आयोग को एक प्रतिवेदन भेजा था, जिसमें चुनाव आयोग से इंडिया के इस्तेमाल के खिलाफ जरूरी एक्शन लेने का अनुरोध किया था,लेकिन चुनाव आयोग पार्टियों के स्वार्थपरक कृत्यों की निंदा करने या कोई कार्यवाही करने में विफल रहा है।

 

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