Homeदेशकेरल और बंगाल में नहीं लागू होंगे सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट!

केरल और बंगाल में नहीं लागू होंगे सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट!

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न्यूज़ डेस्क 
देश में सीएए कानून को अधिसूचित किया जा चुका है अब इसे देश भर ने लागू किया जाएगा। लेकिन अभी भी दो राज्य ऐसे हैं जहाँ यह कानून लागु नहीं होगा। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सीएए को सांप्रदायिक आधार पर विभाजन पैदा करने वाला कानून बताते हुए कहा कि किसी भी कीमत पर केरल में लागू नहीं होने देंगे।

उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, जो मुस्लिम अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक मानता है, उसे केरल में लागू नहीं किया जाएगा। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि सीएए के नियमों का अध्ययन किया जाएगा। इसके बाद ही कोई फैसला लेंगे। उन्होंने कहा कि सीएए के नाम पर लोगों को डिटेंशन कैंप में भेजा जाएगा तो विरोध करूंगी। सीएए बंगाल और पूर्वोत्तर के प्रति संवेदनशील है। लोकसभा चुनाव से पहले अशांति नहीं चाहते।
 

बता दें कि केंद्र सरकार ने सोमवार को सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानि सीएए को लेकर अधिसूचना जारी कर दी। इसी के साथ यह कानून देशभर में लागू हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक नागरिकता संशोधन कानून के तहत तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। सीएए को लेकर नियम जारी होने के बाद बगैर दस्तावेज भारत आए प्रताडि़त हिन्दू , सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया। गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह कानून किसी की नागरिकता छीनने वाला नहीं है, बल्कि यह नागरिकता देने वाला है। इसलिए किसी को डरने की जरूरत नहीं है।

गृह मंत्रालय ने नागरिकता के आवेदन के लिए पोर्टल तैयार किया है। आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। आवेदकों को बताना होगा कि वह कब भारत आए। उनसे कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। गृह मंत्रालय की जांच के बाद नागरिकता दे दी जाएगी। केंद्र सरकार ने 2019 में नागरिकता कानून में संशोधन किया था। इसके विरोध में देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनों के दौरान कई लोगों की जान गई। सबसे लंबा प्रदर्शन शाहीन बाग में हुआ। इसी प्रदर्शन के दौरान दिल्ली में दंगे भी हुए थे।

कानूनन भारत की नागरिकता के लिए 11 साल देश में रहना जरूरी है। नागरिकता संशोधन कानून में तीन देशों के गैर-मुस्लिमों को 6 साल रहने पर ही नागरिकता दे दी जाएगी। अन्य देशों के लोगों को 11 साल का वक्त भारत में गुजारना होगा, भले वे किसी भी धर्म के हों।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को सवा चार साल लग गए। प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार प्रोफेशनल ढंग से काम करती है। सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफेद झूठ की झलक है। नियमों की अधिसूचना के लिए जान-बूझकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का समय चुना गया है। ऐसा स्पष्ट रूप से धु्रवीकरण के लिए किया गया है, विशेष रूप से असम और बंगाल में।

 पिछले दो साल में नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला अधिकारियों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम-1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले ङ्क्षहदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों व ईसाइयों को नागरिकता देने की शक्तियां दी गई हैं। इनमें गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली व महाराष्ट्र शामिल हैं।

पश्चिम बंगाल के मतुआ समुदाय के लोगों ने सीएए लागू करने को फैसले का स्वागत करते हुए जश्न मनाना शुरू कर दिया है। मतुआ समुदाय के लोगों का कहना है कि यह उनके लिए दूसरा स्वतंत्रता दिवस है। मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान से आने वालमतुआ समुदाय हिंदुओं का एक कमजोर वर्ग है।

ये लोग भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान और बांग्लादेश के निर्माण के बाद भारत आ गए थे। पश्चिम बंगाल में 30 लाख की लगभग आबादी वाला यह समुदाय नादिया और बांग्लादेश की सीमा से लगे उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों में रहता है। इनका राज्य  की 30 से अधिक विधानसभा सीटों पर प्रभुत्व है। इनमें से बहुत सारे लोगों को अभी भी भारत की नागरिकता का इंतजार है।

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