न्यूज़ डेस्क
बिहार में फिर से इस बात की चर्चा होने लगी है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से पलटी मार सकते हैं। चार जून के बाद बिहार की राजनीति में बहुत कुछ होने की भी बात की जा रही है। जनता की राय चाहे जो भी हो लेकिन अब तेजस्वी यादव भी कुछ इसी तरह का दावा करने लगे हैं।
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि चाचा 4 जून के बाद बड़ा फैसला ले सकते हैं। वह अपनी पार्टी को बचाने और पिछड़ों की राजनीति के लिए कोई बड़ा कदम भी उठा सकते हैं। तेजस्वी के इस बयान के बाद एक तरफ सूबे में जहां एक बार फिर से सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट भी बढ़ने लगी है। दूसरी तरफ नीतीश कुमार कई बार सार्वजिनिक तौर पर कह चुके हैं कि वह बीजेपी का साथ छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले हैं।
बता दें कि बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आज मीडिया से मुखातिब थे। इसी दौरान पत्रकारों ने पूछा कि क्या नीतीश उनके साथ आएंगे? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि 4 जून तक इंतजार कीजिए। जब सीएम नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला लेंगे, तब देखेंगे। तेजस्वी के इस बयान के सामने आने के बाद से ही सूबे में एक बार फिर से जहां सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट बढ़ गई है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी सकते में आ गई है।
बता दें कि नीतीश कुमार ने इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले आरजेडी का साथ छोड़कर एनडीए में वापसी की थी। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई रैलियां कीं। इन सभाओं में नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को भरोसा दिलाया कि वह बीच में दो बार भटक गए थे, अब बीजेपी का साथ छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे।
वहीं, इंडिया गठबंधन के कर्ता-धर्ता रहे नीतीश कुमार के जाने के बाद भी तेजस्वी ने उनके लिए आरजेडी के दरवाजे खुले रखे। तेजस्वी अक्सर अपने बयानों में कहते हैं कि उनके चाचा नीतीश कुमार अभिभावक जैसे हैं। वह पहले भी उनका सम्मान करते थे और आगे भी करते रहेंगे। पिछले दिनों पटना में पीएम नरेंद्र मोदी के रोड शो के दौरान सीएम नीतीश द्वारा बीजेपी का सिंबल थामे जाने पर भी तेजस्वी ने कहा था कि बीजेपी ने मुख्यमंत्री को हाइजैक कर लिया है।
सूबे में एक बार फिर से उठ रहे सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट पर जब बिहार के वरिष्ठ पत्रकार संजय वर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार ने लोकसभा में अपने संख्या बल को बनाए रखने के लिए एनडीए में वापसी की थी।
लेकिन इस वक्त बिहार में चुनाव जिस तरह से चल रहा है उसे देखकर ये कहा जा सकता है कि एनडीए गठबंधन सूबे में 2014 और 2019 दोहराने नहीं जा रहा है। वहीं, इस बार के चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान होने की संभावना है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि बीजेपी की भी हालत इस बार बहुत अच्छी नहीं है।