न्यूज़ डेस्क
महाराष्ट्र की अगली राजनीति क्या होगी इसका फैसला दो विधान सीटों पर हो रहे उप चुनाव के परिणाम के बाद होगा। महाआघाडी की राजनीति के लिए तो ये उपचुनाव लिटमस टेस्ट की तरह ही है बीजेपी और शिंदे गुट के लिए भी यह उपचुनाव आगामी चुनाव के लिए निर्णायक होने वाला है। माना जा रहा है कि इस उपचुनाव के तुरंत बाद ही मुंबई महानगर पालिका और पुणे महानगर पालिका के चुनाव घोषित किये जायेंगे। बीजेपी किसी भी तरह से उपचुनाव की दोनों सीटें जीतने की कोशिश कर रही है क्योंकि पहले भी ये सीटे बीजेपी के पास ही थी इधर महाआघारी के सामने ये चुनौती है कि चाहे जैसे भी हो बीजेपी से ये दोनों सीटें छीन ली जाए। अगर ऐसा होता है तो आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर जहां महाअघारी की एकता को और बल मिलेगा वही बीजेपी को भी यह फैसला करना पडेगा कि शिंदे गुट के साथ उसकी दोस्ती कितनी लाभदायक होने वाली है।
देश की वित्तीय राजधानी मुंबई के साथ साथ पुणे और ठाणे में नगर निगम का चुनाव होना है। इन चुनावों की महत्ता इस बात से समझी जा सकती है कि एक महीने में दो बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई की यात्रा की है और हजारों करोड़ रुपए की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया है। बताया जा रहा है कि नगर निगम चुनावों की घोषणा राज्य में दो सीटों पर हो रहे उपचुनावों के बाद होगी। दोनों उपचुनावों का महत्व सिर्फ इतना नहीं है, बल्कि इससे एनसीपी, कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के गुट की शिव सेना के गठबंधन की परीक्षा भी होगी और भाजपा-एकनाथ शिंदे गुट की भी परीक्षा होगी। जब से राज्य में महाविकास अघाड़ी की सरकार गिरी है तब से एक अंधेरी ईस्ट सीट का चुनाव हुआ था लेकिन वहां भाजपा ने उम्मीदवार नहीं दिया था इसलिए उद्धव ठाकरे की पार्टी के लिए मुकाबला एकतरफा रहा था।
महाराष्ट्र की कस्बा पेठ और चिंचवाड़ सीट पर दोनों गठबंधन लड़ रहे हैं। चिंचवाड़ सीट भाजपा के लक्ष्मण जगताप के निधन से खाली हुई थी और भाजपा ने उनके बेटे अश्विनी जगताप को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने अंधेरी ईस्ट की मिसाल देते हुए उस सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारने की मांग की थी लेकिन एमवीए की ओर से एनसीपी ने नाना काटे को उम्मीदवार बनाया है। एनसीपी ने बड़ा जोखिम लिया है। पिछली बार इस सीट पर राहुल कलाटे दूसरे नंबर पर थे। लेकिन उनकी बजाय पार्टी ने नाना काटे को उतारा है। कस्बा पेठ सीट कांग्रेस को मिली है, जिसने पिछली बार दूसरे स्थान पर रहे रवींद्र धंगेकर को उतारा है। भाजपा की मुक्ता तिलक ने उनको हराया था। ये दोनों सीटें भाजपा की हैं। अगर इनमें से एक भी सीट वह हारती है तो राज्य की राजनीति में बहुत कुछ बदलेगा। राज ठाकरे की मनसे और एकनाथ शिंदे की शिव सेना दोनों भाजपा का समर्थन कर रहे हैं।
इन दोनों सीट पर चुनाव के बाद महानगर पालिका के चुनाव की घोषणा की जाएगी। बीजेपी किसी भी सूरत में बीएमसी पर इस बार कब्जा चाहती है। उधर उद्धव ठाकरे भी बीएमसी में अपनी पैठ को ढीला नहीं करना चाहते। माना जाता है कि बीएमसी पर जिसकी पकड़ होती है उसकी राजनीती आगे बढ़ती है। बीएमसी को लेकर असली लड़ाई उद्धव वाली सेना और बीजेपी के बीच है। ऐसे में महाराष्ट्र के ये दो सीटों पर उपचुनाव कई संकेत दे सकते हैं।

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