बीरेंद्र कुमार झा
राष्ट्रीय जनता दल में ए टू जेड की राजनीति ने शुरू होने से पहले ही दम तोड़ दिया।अब आरजेडी एक बार फिर से अपने पुराने जातिगत समीकरण की ओर जाती हुई दिख रही है।आरजेडी ने एक बार फिर से यादव और मुस्लिम की हिस्सेदारी पार्टी में 50% से भी अधिक कर दी है। 3 साल पहले तेजस्वी यादव ने ए टू जेड का जो नया नारा दिया था, उसका कोई भी प्रभाव दल की ओर से जारी जिला अध्यक्षों और जिला प्रधान महासचिवों की सूची में नहीं देखा जा रहा है।कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद की पार्टी अपनी पुरानी समीकरण की ओर लौट रही है।वैसे सिवान में शहाबुद्दीन की पत्नी हिना सहाब का पार्टी में पत्ता साफ हो गया है। वहां जिला अध्यक्ष या प्रधान महासचिव पद पर किसी मुसलमान को जगह नहीं दी गई है। हां यादव तबके को वहां जरूर तवज्जो दी गई है।
94 नेताओं की सूची में 51 नेता केवल यादव और मुस्लिम कोटा से
बिहार में 38 जिले हैं लेकिन आरजेडी ने संगठन के लिहाज से 47 जिला कमेटी बना रखा है। इसमें जिला अध्यक्ष और जिला प्रधान महासचिव पद पर कुल 94 नेताओं का मनोनयन मंगलवार को किया गया।94 नेताओं की सूची में 51 नेता केवल यादव और मुस्लिम कोटा से हैं। इस सूची से ब्राह्मणों को पूरी तरह से बाहर रखा गया है, जबकि दो राजपूत और एक भूमिहार का नाम इसमें शामिल हैं। ईबीसी कोटे से 13 और अनुसूचित जाति कोटे से 6 नाम हैं। वैसे आरजेडी ने यह भी ऐलान किया था कि पार्टी में पिछड़ों और दलितों के लिए पद आरक्षित किए जाएंगे, और उन्हें पर्याप्त जगह दी जाएगी। आज जारी सूची में यह आरक्षण नहीं दिखा। किशनगंज जैसे ऐसे कई जिला में तो जिला अध्यक्ष और प्रधान महासचिव दोनों पदों पर मुसलमान नेताओं को ही रखा गया है।इसके अलावा पटना समेत कई जिलों में जिला अध्यक्ष और प्रधान महा सचिव में एक मुस्लिम है तो दूसरा यादव।