बीरेंद्र कुमार झा
बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट जारी कर दी गई है। प्रदेश में जातियों की आबादी का डाटा अब सार्वजनिक हो गया है। गांधी जयंती के अवसर पर नीतीश सरकार की ओर से यह डाटा जारी किया गया ।1931 में जाति जनगणना हुई थी।अब 93 साल बाद जाति जनगणना की रिपोर्ट आई है और स्पष्ट हुआ है कि राज्य में किस जाति की कितनी भागीदारी है। केंद्र सरकार की ओर से इस गणना को नहीं कराने के निर्णय के बाद बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने तय किया था कि राज्य सरकार अपने खर्चे पर ही बिहार राज्य में जातीय गणना करवाएगी। तब बिहार में एनडीए की सरकार थी और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे।तब विपक्षी दल में बैठी आरजेडी भी लगातार जाति गणना की मांग उठाती रही थी।सदन के अंदर से लेकर बाहर तक इसे समर्थन प्राप्त था।अभी बिहार का सियासी समीकरण बदल गया है और नीतीश कुमार महागठबंधन की सरकार के मुखिया हैं।बीजेपी अब विपक्षी पार्टी है।बीजेपी को केंद्र की सत्ता पर से हटाने के लिए नीतीश कुमार की पहल पर इंडिया गठबंधन तैयार हुआ है ।इसमें कांग्रेस और अन्य दल भी शामिल है और सभी ने एकजुट होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने जब जातीय गणना करने का फैसला लिया तो इसमें सर्वे शुरू होने के बाद भी कई कानूनी पेंच लगे, लेकिन अब सर्वे की रिपोर्ट के सामने आ गई है, जिसके बाद नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में एक रोल मॉडल के रूप में उभर कर सामने आए हैं। बिहार में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट आते ही देश की सियासत में एक अलग उबाल दिखने लगा है।
बिहार की जाति गणना रिपोर्ट में देश की राजनीति में लाया नया उबाल
बिहार जाति गणना की रिपोर्ट जारी करने वाला पहला देश का पहला राज्य बन चुका है।जाति गणना की रिपोर्ट सामने आई तो ताजा आंकड़ों से साफ हुआ कि बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार330 हो गई है और प्रदेश में कुल 215 जातियां रहती हैं। जाति गणना के आंकड़ों में राजनीतिक सामाजिक व आर्थिक रूप से प्रभुत्व रखने वाली जातियों के साथ ही इन मानकों पर पिछड़े जातियों की संख्या का भी पता लग गया है। 215 जातियों में 190 जातियों की आबादी एक फीसदी से भी कम है। अनुपात में देखें तो सबसे अधिक 14.26% आबादी यादव जाति की है। इससे साफ हुआ है कि प्रदेश में पिछड़ा वर्ग सबसे बड़ा है। वहीं अभी जाति गणना रिपोर्ट के सामने आने के बाद देशभर की सियासत में नया उबाल आया है ।केंद्र सरकार पर जनगणना करने का दबाव बढ़ गया है। इसे लेकर आवाज बुलंद होने लगी है। ओबीसी वर्ग को लेकर भी सियासत अब तेज होने लगी है और एक दूसरे को पक्ष- विपक्ष घूरते दिख रहे हैं। कांग्रेस सांसद और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बिहार में जाति गणना की रिपोर्ट आने के बाद केंद्र सरकार को जमकर घेरा है।राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि बिहार की जाति जनगणना से पता चला है कि वहां ओबीसी +एससी+ एसटी= 84% है। केंद्र सरकार के 90 सचिवों में सिर्फ तीन ओबीसी हैं, जो भारत का मात्र 5% बजट संभालते हैं।इसलिए भारत का जातिगत आंकड़ा जानना बहुत ही जरूरी है।जितनी आबादी, उतना हक – यह हमारा प्रण है।वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जाति की राजनीति करने को लेकर निशाना साधा है।
नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में बने रोल मॉडल
अपने प्रयासों से सभी प्रमुख विपक्षी राजनीतिक दलों को एकजुट कर इंडिया गठबंधन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नीतीश कुमार की बाद में इंडिया गठबंधन में पूछ काफी कम होने लगी।विपक्षी खेमे से प्रधानमंत्री का चेहरा बनाने की बात तो दूर इन्हें इंडिया गठबंधन में भी संयोजक का पद तक नहीं दिया गया। लेकिन अब जाति आधारित गणना की रिपोर्ट सामने आने के बाद पासा पलट गया है।अब नीतीश कुमार विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के अंदर एक अलग रूप में रोल मॉडल बनकर उभरे हैं। जाति गणना एक तरफ जहां केंद्र सरकार को पछाड़ने के लिए विपक्षी राजनीतिक दलों के हाथ एक बड़ा अस्त्र बनकर आया तो वहीं दूसरी तरफ अन्य राज्यों के लिए भी इसने प्रदेश में जाति गणना करने का रास्ता खोल दिया। जाति आधारित गाना को लेकर इंडिया गठबंधन में पहले भी चर्चा होती रही है,वहीं देश के अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी इसका चर्चा होने लगी है ।सोमवार को बिहार में जाति गणना की रिपोर्ट सामने आई तो उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके कुछ ही घंटे बाद ग्वालियर की एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस को घेरा और जात-पात की राजनीति का आरोप लगाया।
अन्य राज्यों में भी दिखने लगा असर
बिहार की जाति गणना अब देश भर की राजनीति में नया उबाल लेकर आई दिखने लगी है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साफ किया था कि अगर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी, तो सुबह में जातिगत गणना करवाएंगे ।बिहार से बांटकर अलग राज्य बने झारखंड ने भी अब जातीय गणना करना कराने का मन बना लिया है और हेमंत सोरेन की सरकार अब केंद्र को एक प्रस्ताव भेजने की तैयारी में है ।कांग्रेस अध्यक्ष और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वे पत्र लिख चुके हैं और उसमें जातीय गणना कराने की मांग किया है। दक्षिण भारत के सियासत में भी इस जाति गणना का प्रभाव दिखने लगा है। बिहार का यह जाति गणना देशभर की राजनीति में एक नया मुद्दा लेकर आता दिख रहा है और नीतीश कुमार इसके रोल मॉडल बने हैं।