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राजस्थान में गहलोत की बड़ी लड़ाई ,कांग्रेस करेगी कुछ दलों से गठबंधन !

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न्यूज़ डेस्क 

राजस्थान विधान सभा चुनाव में कांग्रेस अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती। कांग्रेस की रणनीति यही है कि चाहे जैसे भी हो प्रदेश की सत्ता फिर उसके हाथ मिले। ऐसा संभव भी हो सकता है लेकिन उधर बीजेपी किअपनी रणनीति है। बीजेपी के लिए राजस्थान बड़ी चुनौती है और प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है। लोकसभा चुनाव के लिए भी राजस्थान जितना जरुरी हो गया है। बीजेपी चाहे जो भी करे लेकिन कांग्रेस राजस्थान में अब की दलों के साथ गठबंधन को तैयार है। जिन दलों और नेताओं ने पिछली सरकार में गहलोत को मदद किया था उसके साथ कांग्रेस गठबंधन की तैयारी कर रही है।    
   जानकारी के मुताबिक प्रदेश में कांग्रेस अब शेष रही आधी सीटों के उम्मीदवारों के चयन को अंतिम रूप देने से पहले आधा दर्जन सीटों पर गठबंधन को लेकर तैयारी में जुट गई है। पिछले दिनों केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक में राज्य की 200 विधानसभा सीटों में सौ से अधिक सीटों पर उम्मीदवार फाइनल कर दिए थे, लेकिन शेष आधी सीटों के लिए स्क्रीनिंग कमेटी और सीईसी की बैठक में मंथन होगा। इससे पहले कांग्रेस अन्य दलों से गठबंधन की रणनीति पर काम कर रही है। हालांकि गठबंधन की अंतिम रूपरेखा को राहुल गांधी ही फाइनल करेंगे।
                      कांग्रेस सरकार के सियासी संकट में निर्दलीय और अन्य जिन दलों के नेताओं ने साथ दिया था, उन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत साथ लाने में जुटे हैं। कांग्रेस ने 6 निर्दलीयों को पार्टी की ओर से उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इसी तरह अब सीपीएम और भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) को साथ लाने की तैयारी चल रही है। साथ ही राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) से भी समझौते पर बात चल रही है। गठबंधन के संकेत पिछले दिनों मुख्यमंत्री गहलोत दे भी चुके हैं।
                    सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस पूर्वी राजस्थान के अलावा शेखावटी और वागड़ की कुछ सीटों पर राष्ट्रीय लोकदल, सीपीएम और बीएपी के साथ गठबंधन करने की तैयारी में जुटी हैं। अभी सरकार में रालोद से सुभाष गर्ग मंत्री हैं। वहीं सीपीएम के मौजूदा समय में 2 विधायक हैं, जिनमें भादरा से बलवाल पूनिया और श्रीडूंगरगढ़ से गिरधारी लाल हैं। इन्होंने भी सरकार का संकट के समय साथ दिया था। बीएपी बनाने वाले विधायक राजकुमार और रामप्रसाद सरकार बचाने के लिए बाड़ाबंदी में भी शामिल हुए थे। उस समय ये दोनों भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) में थे, लेकिन विधानसभा चुनावों से पहले राजकुमार रोत ने ट्राइबल क्षेत्र के लिए नई बीएपी गठित कर ली है। बीएपी अब तक कई सीटों पर उम्मीदवार भी उतार चुकी है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस बीएपी से स्वयं को वागड़ में बड़ा नुकसान होना मानते हुए गठबंधन के लिए हाथ बढ़ा रही है।
                            भाजपा ने प्रदेश में अन्य किसी दल से गठबंधन को लेकर अब तक पत्ते नहीं खोले हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा स्वयं राज्य की सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। भाजपा ने गत विधानसभा चुनाव भी सभी सीटों पर लड़ा था। हालांकि लोकसभा चुनाव में जरूर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के साथ गठबंधन के तहत नागौर लोकसभा सीट छोड़ी थी। बाद में उपचुनाव में खींवसर विधानसभा सीट छोड़ी थी। अब भाजपा का आरएलपी से गठबंधन टूट चुका है। देश में हुए किसान आंदोलन के दौरान आरएलपी ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था।
                   राज्य की 200 में से 5 सीटें गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तीन सहयोगी दलों के लिए छोड़ी थी। राष्ट्रीय जनता दल के लिए भरतपुर व मालपुरा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक जनता दल के लिए मुंडावर व कुशलगढ़ सीट छोड़ी थी। एक सीट बाली एनसीपी को दी थी, लेकिन इनमें से केवल भरतपुर सीट ही जीत सके।

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