न्यूज डेस्क
भोपाल त्रासदी के पीड़ित अतिरिक्त 7400 करोड़ मुआवजा की मांग याचिका के जरिए कर रहे थे जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है । गैस पीड़ितों के लिए इसे बड़ा झटका माना जा सकता।
बता दें कि भोपाल में 2 दिसंबर 1984 की रात में हुए इस हादसे में 16 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी। हादसे से बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर का मुआवजा दिया था। पीड़ितों ने अतिरिक्त मुआवजे के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पीड़ितों की ओर से केंद्र ने इस मामले में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की थी।
केंद्र ने यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन की उत्तराधिकारी फर्मों से 7,844 करोड़ रुपये मांगे थे। हालांकि जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस मामले की फिर से सुनवाई करना पीड़ितों के पक्ष में भी नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि ‘यह केवल भानुमती का पिटारा खोलकर यूसीसी के पक्ष में काम करेगा और दावेदारों को भी इससे कोई लाभ नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में लापरवाही के लिए केंद्र सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया। कोर्ट का कहना है कि मुआवजे में कमी को पूरा करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की थी। बीमा पॉलिसियों को लेने में विफलता केंद्र की घोर लापरवाही है।
12 जनवरी को यूनियन कार्बाइड की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि 1989 के बाद अब स्थिति काफी बदल चुकी है। अब दौरान केंद्र सरकार और कंपनी के बीच समझौता हुआ था। इसी के अनुसार मुआवजा दिया गया था। कोर्ट ने केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा कि ‘किसी और की जेब में हाथ डालना और पैसा निकालना बहुत आसान है। अपनी जेब में डालो और पैसे दो और फिर देखो कि तुम उनकी (यूसीसी) जेब में डाल सकते हो या नहीं।