18 वीं लोकसभा में बीजेपी के 240 सीट पाकर बहुमत से दूर रह जाने का असर इस बार संसद से लेकर नीति आयोग की बैठक तक में देखा जा रहा है।एक तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दिल्ली में नीति आयोग की चल रही बैठक का इंडिया गठबंधन के कई घटक दल पहले से ही वहिष्कार किए हुए है ,वहीं दूसरे तरफ इंडिया गठबंधन से एकमात्र विपक्षी मुख्यमंत्री के तौर पर ममता बनर्जी ने इसमें शिरकत किया भी तो थोड़ी ही देर में बीजेपी और एनडीए पर समय न देने का आरोप लगाते हुए बैठक बीच में ही छोड़कर बाहर निकल गईं।
प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में चल रही नीति आयोग की बैठक बीच में ही छोड़कर बाहर आई ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने बैठक में अपना विरोध जता दिया है।उन्हें बैठक में बोलने का मौका नहीं दिया जाता है, ऐसे में नीति आयोग का बैठक कैसे चल सकता है?
ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार मनमानी कर रही है।मैंने कहा कि आपको राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। मैं बोलना चाहती थी, लेकिन मुझे सिर्फ 5 मिनट ही बोलने दिया गया।मुझसे पहले के लोगों ने 10-20 मिनट तक बात की। विपक्ष से मैं अकेली थी जो इस बैठक में भाग ले रही थी,लेकिन फिर भी मुझे बोलने नहीं दिया गया। यह अपमानजनक है।यह सिर्फ बंगाल का ही नहीं, बल्कि सभी क्षेत्रीय दलों का अपमान है।
गौरतलब है कि बजट में भेदभाव का आरोप लगाते हुए इंडिया गठबंधन के शासन वाले कई विपक्षी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पहले ही नीति आयोग की इस बैठक का बहिष्कार का ऐलान कर दिया था।बहिष्कार करने वाले मुख्यमंत्रियों में तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के साथ-साथ आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली पंजाब और दिल्ली की सरकार शामिल हैं।इसके अलावा कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया, हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने भी बैठक में शामिल न होने का फैसला किया।
इंडिया गठबंधन के कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के उलट पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक में शामिल होने पहुंची थीं। बनर्जी ने कहा था कि इन नेताओं की आवाज को एक ñसाझा मंच पर उठाया जाना चाहिए। इसके साथ ममता ने मांग की कि नीति आयोग को खत्म कर देना चाहिए और फिर से योजना आयोग को फिर से बहाल किया जाना चाहिए।