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रोचक होगी बारामती की लड़ाई : भाभी और ननद के बीच असमंजस में जनता !

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न्यूज़ डेस्क 
राजनीति में कब कौन किसके खिलाफ चला जाता है और कौन किसके साथ गलबहियां करता है यह किसी को मालूम नहीं होता। कभी अपने भी सामने खड़े हो जाते कभी दुश्मन भी अपने दिखने लगते हैं। राजनीति का यह खेल कभी भ्रम पैदा करता है तो कभी जनता को मुस्कुराने पर विवश भी करता है। शरद पवार की एनसीपी अब उनके भतीजे अजित पवार के पास चली गई है। जो अजित पवार अपने चाचा की उंगुलियां पकड़कर राजनीति में स्थापित हुए आज अपने चाचा को ही चुनौती दे रहे हैं। वे बीजेपी के साथ सरकार में शामिल है और बहन सुप्रिया की राजनीति पर भी सवाल कर रहे हैं। इस खेल का अंतिम अब्जाम क्या होगा यह कोई नहीं जानता लेकिन सच यही है कि बारामती चुनाव क्षेत्र अब संग्राम क्षेत्र बनते दिख रहा है। एक तरफ सुप्रिया सुले हैं तो दूसरी तरफ उसकी भाभी यानी भाई अजित पवार की पत्नी।        

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नाम के बाद अब बारामती निर्वाचन क्षेत्र को लेकर शरद पवार और अजित पवार आमने सामने आ गए हैं। दोनों के बीच तनातनी जारी है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को बारामती से सांसद सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनावी बिगुल फूंका और संकेत दिए कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी चचेरी बहन के खिलाफ उम्मीदवार उतार सकते हैं। ऐसे में कयास लगने लगे हैं कि अजित अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को चुनावी मैदान में उतार सकते हैं। अजित के तीखे बयानबाजी के बाद सुले ने रविवार को एक बार फिर कहा कि लोकतंत्र में सभी को चुनाव में खड़े होने का अधिकार है।

सुनेत्रा पवार के चुनावी मैदान में उतरने पर एनसीपी शरदचंद्र पवार की नेता सुप्रिया सुले ने कहा, ‘यह परिवार की लड़ाई कैसे हो सकती है? लोकतंत्र में कोई भी चुनाव लड़ सकता है। मैंने कल भी कहा था कि अगर उनके पास मजबूत उम्मीदवार है तो मैं उस उम्मीदवार से बात करने को तैयार हूं। वे जो भी विषय, समय या स्थान तय करेंगे, मैं बैठने और चर्चा करने के लिए तैयार हूं।’

नेताओं से संबंध होने पर सुले ने कहा, ‘यह विचारों की लड़ाई है। यह व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है। भाजपा के कई नेता मेरे दोस्त हैं। मेरे काम भी करते हैं। गडकरी जैसे कई नेता, जो अच्छा काम कर रहे है उनकी तारीफ करने में कोई बुराई नहीं है। मेरा परिवार बहुत बड़ा है, उनका राजनीति से कोई संबंध नहीं है, उन्हें राजनीति में न खींचा जाए। भाभी का इन सबसे क्या लेना देना है। यह विचारों की लड़ाई है, व्यक्तिगत नहीं। ‘

दरअसल, अजित पवार ने बिना नाम लिए कहा था कि वह सिर्फ भाषण देती हैं और अवॉर्ड जीतती हैं, लेकिन क्षेत्र की समस्याओं का समाधान नहीं करती हैं। उन्होंने कहा था कि हम ऐसे लोगों को संसद में नहीं भेज सकते जो समस्याओं का समाधान नहीं करते। सिर्फ संसद में भाषण देने से कुछ नहीं होता। अगर वह भाषण देंगे और बारामती में काम न करें, तो क्या यहां कुछ होगा?  

एनसीपी  शरदचंद्र पवार के प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को कहा था, ‘लोकतंत्र में, सभी को चुनाव में खड़े होने का अधिकार है। अगर कोई उस अधिकार का प्रयोग कर रहा है तो इसके बारे में शिकायत करने का कोई कारण नहीं है। हमें लोगों के सामने अपना पक्ष रखना चाहिए। लोग जानते हैं कि हमने पिछले 55-60 सालों में क्या किया है।’

वहीं इससे पहले शनिवार को सुप्रिया सुले ने कहा था, ‘यह एक लोकतंत्र है। यहां हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार है और इसलिए यह कहना उचित है। लेकिन, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और दर्दनाक है कि लोकतंत्र का मंदिर संसद है और कल जिस तरह से संसदीय प्रक्रियाओं का मजाक उड़ाया गया, वह हम जैसे प्रतिबद्ध और समर्पित लोगों के लिए बहुत दर्दनाक था। क्योंकि हम जवाहरलाल नेहरू, अटल बिहारी वाजपेयी और सुषमा स्वराज को देखते हैं, जिन्होंने संसद में चर्चा कर कई बड़े मतभेद पैदा किए। मैं हैरान और निराश हूं कि अजित पवार जैसे वरिष्ठ नेता ने ऐसा कुछ कहा है।’
 

बारामती लोकसभा क्षेत्र पारंपरिक रूप से शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले का गढ़ रहा है, हालांकि, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार ने उनके खिलाफ उम्मीदवार उतारने की घोषणा की। अजित पवार ने यह भी कहा कि अगर उनका उम्मीदवार सुले के खिलाफ जीतता है तभी वह बारामती से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और मतदाताओं से निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए मतदान करने की अपील की।

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