बीरेंद्र कुमार झा
विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ स्थित ऐतिहासिक, पौराणिक शिवगंगा तट के बीचोबीच स्थित कुंड में विराजमान पाताल महादेव का बुधवार से दर्शन पूजन व जलाभिषेक प्रारंभ हो गया। लंबे अरसे के बाद बासुकीनाथ के शिवगंगा की जल निकासी व व्यापक साफ-सफाई होने के उपरांत शिवगंगा के मध्य स्थित कुंड में विराजमान पाताल महादेव के दर्शन एवं पूजन को लेकर श्रद्धालुओं में भी काफी उत्सुकता थी।
शुरू हुई पाताल महादेव की पूजा
श्रद्धालुओं ने शिवगंगा की सफाई में श्रमदान किया। पाताल महादेव के दर्शन के साथ ही पाताल महादेव के कब दर्शन होंगे इसकी चर्चा पर भी विराम लग गया। स्थानीय पंडा-पुरोहित व श्रद्धालुओं की माने तो पाताल कुंड के दर्शन के साथ ही जलाभिषेक एवं श्रृंगार पूजन का बुधवार से ही तांता लग गया है।
शिवगंगा में स्थित है पाताल महादेव
बासुकीनाथ का शिवगंगा अपने गर्भ में कई पौराणिक कथा व ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएं समेटे हुए हैं। उन्हीं में से एक है शिवगंगा के मध्य में स्थित कुंड में विराजमान पाताल शिवलिंग। शिवलिंग की महिमा निराली है। मान्यता है कि इसके दर्शन, पूजन मात्र से सभी जन्मों के पाप धूल जाते हैं व मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
करीब सात सौ वर्ष पुराना है शिवगंगा
बासुकीनाथ धाम स्थित शिवगंगा का इतिहास लगभग 700 वर्ष पुराना है। इस पवित्र सरोवर के बीच स्थित एक कुंड में एक पवित्र शिवलिंग है। पिछले कई वर्ष पूर्व शिवगंगा की साफ-सफाई के दौरान कुंड मिला व तकरीबन पंद्रह-बीस फीट खुदाई के पश्चात नीचे स्थित पाताल शिवलिंग के समीप सिंदूर, त्रिशूल व अन्य प्राचीन सामग्री सहित एक शिलापट्ट भी मिला, जिसमें शिवगंगा के स्थापना काल की तिथि 1342 ई. अंकित है।
शिवगंगा की सफाई के बाद ही दर्शन है संभव
शिवगंगा के जल की पूर्ण रूपेण निकासी के बाद निकलने वाले इस पाताल शिवलिंग के पूजन को भक्तों का तांता लगा रहता है। शिवलिंग का दर्शन सिर्फ शिवगंगा की साफ-सफाई व जल पूरी तरह से सूखने के दौरान ही संभव है। भक्त बताते हैं कि जब शिवगंगा की सफाई होती है तो वे इस पवित्र शिवलिंग का दर्शन करने जरूर आते हैं।
1342 ई. में हुआ पाताल महादेव मंदिर का निर्माण
इस पाताल शिवलिंग के प्रधान पुजारी अनिल पंडा, मंदिर के पुजारी सदाशिव पंडा, मनोज पंडा सहित अन्य लोग भी इसकी महिमा विस्तार पूर्वक बताते हुए कहते हैं कि पाताल शिवलिंग के दर्शन होने पर नित्य दिवस संध्या के समय भक्तों के द्वारा विधि विधान पूर्वक श्रृंगार पूजन भी किया जाता है। कुंड में एक शिलापट्ट भी मिला है, जिसमें शिवगंगा के स्थापना काल की तिथि 1342 ई. अंकित है।माना जाता है कि शिवगंगा निर्माण के दौरान ही पाताल महादेव को शिवगंगा स्थित एक मंदिरनुमा चट्टान के बीच स्थापित कर दिया गया था।
शिवगंगा की सफाई के बाद ही दर्शन है संभव
शिवगंगा के जल की पूर्ण रूपेण निकासी के बाद निकलने वाले इस पाताल शिवलिंग के पूजन को भक्तों का तांता लगा रहता है। शिवलिंग का दर्शन सिर्फ शिवगंगा की साफ-सफाई व जल पूरी तरह से सूखने के दौरान ही संभव है। भक्त बताते हैं कि जब शिवगंगा की सफाई होती है तो वे इस पवित्र शिवलिंग का दर्शन करने जरूर आते हैं।
बाबा करते हैं भक्तों की मनोकामना पूरी
बाबा पाताल महादेव यहां आकर पूजा अर्चना करनेवाले भक्तों की हर मनोकामनाओं को पूरा कर देते हैं। एक श्रद्धालु अमृता सिकदार ने बताया कि उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि पाताल महादेव के दर्शन व पूजन मात्र से सभी कार्य पूर्ण होते हैं।इसलिए वे यहां दर्शन के लिए आईं हैं।उनका मानना है कि कई वर्षों के बाद बाबा पाताल महादेव का इस वर्ष दर्शन व पूजन का सौभाग्य हुआ।इस वर्ष पाताल महादेव का उद्भव होने से लोगों में इनके दर्शन व पूजन को लेकर काफी उत्सुकता है।
जरमुंडी से श्रद्धालु गणेश भंडारी ने कहा, पाताल महादेव भक्तों की सभी मनोरथ पूरी करते हैं। पाताल महादेव के पूजन एवं संध्या के समय होने वाले श्रृंगार पूजन को लेकर काफी उत्सुकता है। इसी तरह एक और भक्त जगदीश यादव ने कहा, वर्षों से पाताल महादेव के बारे में पूर्वजों से जानकारी मिली है। पहली बार पाताल महादेव के पूजन का सौभाग्य मिला। दर्शन तो हो गया, अब पूजन का प्रयास कर रहे हैं।