न्यूज़ डेस्क
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर आज पीएम आवास पर बैठक हुई जिसमे विपक्ष के नेता अधीर रणजन चौधरी भी शामिल हुए। इसके साथ ही बैठक में पीएम मोदी और कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल भी शामिल हुए। बता दें कि पूर्व चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय के रिटायरमेंट और अरुण गोयल के बीते दिनों इस्तीफे की वजह से चुनाव आयोग में दो चुनाव आयुक्तों के पद खाली हैं। इन्हीं पदों पर नियुक्ति के लिए आज प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बैठक हुई।बैठक चलती रही। बैठक के बाद जब चौधरी बाहर आये तो उन्होंने कई सवाल खड़े कर दिए।
चौधरी ने आरोप लगाया कि सरकार ने पहले से ही चुनाव आयुक्तों के नाम तय कर रखे थे। अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि सुखबीर संधू और ज्ञानेश कुमार के नाम पर मुहर लगी है। जल्द ही आधिकारिक रूप से नए चुनाव आयुक्तों के नामों का ऐलान हो सकता है।
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ‘सरकार जिसे चाहेगी, वो ही चुनाव आयुक्त बनेंगे।’ अधीर रंजन चौधरी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ‘समिति में सरकार के पास बहुमत है और इस वजह से सरकार अपने पसंद के नाम तय कर सकती है। भारत जैसे लोकतंत्र में इतने बड़े पद पर नियुक्ति इस तरीके से नहीं होनी चाहिए। मुझे बैठक से 10 मिनट पहले छह नाम दिए गए, ऐसे में, मैं इतने कम समय में क्या बताऊंगा?’
बैठक से पहले बुधवार को अधीर रंजन चौधरी ने कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर सूची में शामिल उम्मीदवारों के दस्तावेजों और उनके बारे में जानकारी मांगी थी। आज अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि उन्हें कल 212 नाम दिए गए और आज बैठक से 10 मिनट पहले छह नाम तय किए गए, उनमें से दो को चुन लिया गया।
गौरतलब है कि नए नियमों के मुताबिक चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक कैबिनेट मंत्री की सदस्यता वाली समिति करती है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति को कानून मंत्रालय द्वारा छह नामों की लिस्ट सौंपी गई, जिनमें से दो नामों का एलान हो सकता है। समिति के पास सुझाए गए नामों से अलग भी किसी अन्य अधिकारी की चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्ति करने का अधिकार है।
गौरतलब है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई है। यह चुनौती एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) ने दी है। एडीआर ने मांग की है कि पुराने नियमों की तरह चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली समिति में मुख्य न्यायाधीश को शामिल किया जाए। सुप्रीम कोर्ट एडीआर की याचिका पर जल्द सुनवाई कर सकता है।