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और नरोदा ग्राम नरसंहार के सभी दोषियों को अहमदाबाद की विशेष अदालत ने बरी काट दिया ……

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अखिलेश अखिल
जिसकी संभावना थी आखिर वही हुआ । नरोदा नरसंहार के सभी आरोपी निर्दोष करार दिए गए और सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया । पिछले 21 साल पहले उस नरसंहार देश को हिला कर रख दिया था । गुजरात दंगा 27 फरवरी 2002 में हुआ और नरोदा नरसंहार कांड को 28 फरवरी को अंजाम दिया गया था। इस कांड में 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी । इस मामले में 86 लोगों को आरोपित किया गया था । सुनवाई के दौरान ही इनमे से 18 लोग तो मर गए लेकिन आज बाकी बचे सभी लोग बरी कर दिए गए । इस कांड में बीजेपी नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को भी आरोपित किया गया था ।

आखिर 13 साल से चल रहे इस मुकदमे का आज अंत हो गया । लेकिन कोर्ट से यह पता नही चला कि जिन 11 लोगों को जाने गई थी वह किसने की । आज फैसला सुनाने से पहले कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे । सिर्फ वकीलों और केस से जुड़े लोगों को प्रवेश दिया गया। 2002 में नरोदा गांव में हुई हिंसा में एक समुदाय के 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद कुल 86 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, हालांकि 13 साल चले लंबे ट्रायल के दौरान 18 लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे में कोर्ट ने मौजूदा सभी 68 आरोपियों को निर्दोष घोषित किया और बरी कर दिया।

कोर्ट ने जैसे ही फैसला सुनाया तो कोर्ट के बाहर जय श्री राम को नारों का उद्घोष शुरू हो गया। कोर्ट ने पहले फैसला सुनाने के लिए ढ़ाई बजे का समय निर्धारित किया था, हालांकि इसमें देरी हुई और विशेष कोर्ट के प्रिसिंपल सेशंस जज एस के बक्शी ने 5:40 बजे अपना फैसला सुनाया।

बता दें कि इस मामले की 16 अप्रैल को सुनवाई पूरी हो गई थी। इस दौरान पीड़ित पक्ष की तरफ से दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की गई थी। इसके बाद विशेष कोर्ट के प्रिसिंपल सेशंस जज एस के बक्शी ने फैसले को सुरक्षित रखते हुए 20 अप्रैल की तारीख निर्धारित की थी। दो दशक से अधिक समय तक चली ट्रायल में अभियोजन पक्ष की तरफ से 182 गवाहों को पेश किया। दंगा और हत्या के अलावा, 67 वर्षीय कोडनानी पर नरौदा गाम मामले में आपराधिक साजिश और हत्या के प्रयास का भी आरोप लगाया गया है। इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी सितंबर 2017 में कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे।

गौरतलब है कि गोधरा में साबरमती ट्रेन में आगजनी की घटना के एक दिन बाद 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोदा गाम में हिंसा भड़की थी। भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 129बी (आपराधिक साजिश) के तत्कालीन बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी, बीजेपी नेता और मंत्री माया कोडनानी, जयदीद पटेल के साथ कुल 86 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। 21 तक चली सुनवाई में 10 आरोपियों की मौत हो गई।

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