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और नागालैंड में बन रही है साझा सरकार —–

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अखिलेश अखिल
देश की राजनीति का एक नया मॉडल नागालैंड प्रस्तुत करने जा रहा है। यह मॉडल है विपक्षहीन विधानसभा रखने का। यह ऐसा मॉडल है जिसमे सरकार तो होगी लेकिन विपक्ष नहीं होगा। सवाल भी सत्ता पक्ष के ही होंगे और जवाब भी सत्ता पक्ष ही देगा। लोकतंत्र का यह नया खेल आगे कहाँ तक जाएगा कहना मुश्किल है। नागालैंड का यह नया मॉडल लुभा भी रहा है और भरमा भी रहा है।

60 सदस्य वाली नागालैंड विधान सभा चुनाव में दर्जनों पार्टियां चुनाव लड़ी। सब एक दूसरे के खिलाफ थे। सबने एक दूसरे पर हमला भी किया। आरोप भी लगाए। लूट -खसोट की पोल भी खोली गई। नेताओं के चरित्र का बखान भी हुआ। चुनाव हुए। परिणाम आये और फिर सब एक हो गए। इसे ही तो कहते हैं सब मिलकर खाएंगे और लोकतंत्र को बचाएंगे।

मौजूदा चुनाव में एनडीपीपी और बीजेपी साथ मिलाकर चुनाव लड़े थे। पिछली बार भी दोनों साथ ही थे। बीजेपी को लगा था कि ईसाई और आदिवासी बहुल इस सूबे में उसकी राजनीति चमकेगी लेकिन खेल नहीं चल सका। सहयोगी पार्टी पहले भी आगे ही थी इस बार भी वह आगे रही और 25 सीट पाने में सफल हो गई। सूबे की सबसे बड़ी पार्टी वह बन गई। बीजेपी को 12 सीटें मिल गई। दोनों मिलकर ही सरकार बना सकते थे लेकिन बाकी के दल भी इसमें शामिल होने के लिए लालायित हो गए। उत्तर -पूर्व के राज्यों में विपक्ष की कोई भूमिका होती नहीं और विपक्ष में कोई रहना चाहता भी नहीं। अधिकतर नेता सुविधा भोगी हैं और लालची भी। यह शुरू से ही इन राज्यों का इतिहास रहा है। यही वजह है कि जब कोई बड़ा दाना डालता है एक -दो नेता पाला नहीं बदलते ,पूरी पार्टी की पहचान बदल लेती है ,सारे नेता दूसरी पार्टी में चले जाते हैं। जब इन राज्यों का इतिहास और नेताओं के मिजाज ही ऐसे हैं तो फिर विपक्ष की राजनीति कौन करे !

इस बार नगालैंड में सबसे ज्यादा राजनीतिक दलों ने जीत हासिल की है। दो मार्च को चुनाव के नतीजे आए थे। आंकड़ों के अनुसार, एनडीपीपी को 25, भाजपा को 12 सीटों पर जीत मिली थी। इन दोनों पार्टियों ने चुनाव से पहले ही गठबंधन कर लिया था। एनसीपी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इनके सात सदस्यों ने चुनाव में जीत हासिल की। इसके अलावा एनपीपी के पांच, चार निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास), एनपीएफ, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के दो-दो सदस्यों ने जीत हासिल की। जेडीयू के टिकट पर एक प्रत्याशी ने जीत हासिल की। ये पहली बार है जब इतने सारे राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों ने चुनाव में जीत हासिल की हो।

अब एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन को लगभग सभी दलों ने बिना शर्त समर्थन दिया है। सूत्रों के अनुसार, लोजपा (रामविलास), आरपीआई (अठावले), जद (यू) पहले ही गठबंधन सहयोगियों को समर्थन पत्र सौंप चुके हैं।

एनसीपी ने शनिवार को नेफ्यू रियो के नेतृत्व वाली एनडीपीपी को ‘बिना शर्त’ समर्थन देने वाला एक पत्र सौंपा। इसी तरह, एनपीएफ के महासचिव अचुम्बेमो किकोन ने कहा कि उनकी पार्टी भी एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन को समर्थन दे सकती है। हालांकि अभी इसपर अंतिम फैसला नहीं हुआ है। एनपीएफ के समर्थन देते ही नागालैंड में सर्वदलीय सरकार बन जाएगी। हालांकि यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है। 2015 में भी ऐसी ही सरकार बनी थी और मौजूदा सरकार भी ऐसी ही थी। लोकतंत्र का यह खेल कितना सार्थक है या निरर्थक इसका फैसला कौन करे !

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