अखिलेश अखिल
बीजेपी ने पिछले दिनों कुशवाहा समाज से आने वाले सम्राट चौधरी को प्रदेश को अध्यक्ष बनाया। कहा गया कि इस रणनीति से नीतीश की राजनीति को कमजोर किया जाएगा। पहले उपेंद्र कुशवाहा जदयू से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई और अब बीजेपी ने कुशवाहा समाज से आने वाले सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। जाहिर है कुशवाहा वोट का बंटवारा होना तय है। लेकिन इस खेल में सबसे ज्यादा हानि उपेंद्र कुशवाहा को होता दिख रहा है। बीजेपी के इशारे पर ही कुशवाहा जदयू से अलग हुए थे। अब वे किस वोट पर अपना दावा करेंगे कहना मुश्किल है। इधर नीतीश कुमार ने लम्बे समय के बाद अपनी छुपी तोड़ते हुए कुशवाहा समाज तक पहुँचने की बात कही है।सम्राट अशोक की जयंती मनाने के लिए यहां श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में कुशवाहा समुदाय की एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने दिल्ली से आने वाले लोगों के लिए ‘सचेत रहिएगा’ शब्द का इस्तेमाल किया और दावा किया कि उन्होंने कुशवाहा समाज के लिए बहुत कुछ किया है। बता दें कि कुशवाहा समाज सम्राट अशोक का वंशज होने का दावा करता है।
नीतीश कुमार ने कहा, “मैंने बिहार में सम्राट अशोक की स्मृति और कुशवाहा समुदाय के लिए बहुत कुछ किया है। आप लोग इसे अच्छी तरह से जानते हैं। मैं आपको सतर्क करना चाहता हूं कि कुछ लोग दिल्ली से आएंगे और दावा करेंगे कि उन्होंने सम्राट अशोक की यादों को संजाने के लिए बहुत कुछ किया है। मैं आपको बताना चाहता हूं कि उन्होंने कुछ नहीं किया है, लेकिन उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने सब कुछ किया है। इसलिए उनसे सतर्क रहें।”
उन्होंने कहा, “मैंने कुशवाहा समुदाय और बिहार के समग्र लोगों के कल्याण के लिए बहुत कुछ किया, लेकिन आपने मुझे कभी भी अपनी उपलब्धि का दावा करते हुए नहीं देखा होगा। उन्होंने (भाजपा) कुछ भी नहीं किया है, उनका स्वतंत्रता संग्राम से कोई लेना-देना नहीं रहा है। वे महात्मा गांधी की स्मृति को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। वे देश की सत्ता में हैं, लेकिन आम लोगों के कल्याण के लिए कुछ भी नहीं किया है। उन्होंने केवल जुबानी सेवा की है। इसलिए, उनसे सतर्क रहें।”
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जदयू के पास बिहार में कुर्मी (लव) और कुशवाहा (कुश) समुदाय का कोर वोट बैंक है। उपेंद्र कुशवाहा के जदयू छोड़ने के बाद कुछ कुशवाहा वोट बैंक कथित तौर पर उनकी ओर चले गए और अब बिहार में सम्राट चौधरी को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाने का उद्देश्य कुशवाहा समुदाय को आकर्षित करना है, जो मुसलमानों और यादवों के बाद बिहार में तीसरा सबसे बड़ा समुदाय है।