बीरेंद्र कुमार झा
लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही विभिन्न संगठनों को लगता है कि इस समय उनके लिए सरकार से अपनी मांग मनवाना काफी आसान हो जाएगा।फिर वे अपनी मांगों को लेकर तरह-तरह के आंदोलन करना प्रारंभ कर देते हैं। इसी कड़ी में सरना धर्म को मान्यता देने की मांग पर आदिवासी सेंगल अभियान ने 30 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। आदिवासी सेंगल अभियान के प्रमुख सलखन मुर्मू ने एक दिन के सांकेतिक भारत बंद का आह्वान करते हुए बुधवार को कहा की सरना देश के 15 करोड़ आदिवासी जनजातीय समुदायों की पहचान है। आदिवासियों के धर्म को मानता नहीं देना,उसके साथ अन्याय है। एक तरह से संवैधानिक अपराध भी है ।एक बयान जारी कर बुधवार को कहा कि किसी समुदाय पर दूसरे धर्म को पालन करने के लिए दबाव बनाना,उन्हें धर्म की दासता स्वीकार करने के लिए बाध्य करने की तरह है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ने ही आदिवासियों को उनकी धार्मिक स्वतंत्रता से वंचित किया है।आदिवासी सेंगल अभियान के प्रमुख सालखन मुर्मू ने दावा किया कि वर्ष 1951 की जनगणना में सरना धर्म के लिए अलग संहिता थी ,लेकिन कांग्रेस ने इसे बाद में समाप्त कर दिया।वहीं बीजेपी अब आदिवासियों को वनवासी और हिंदू बनाने की कोशिश कर रही है।
सरना कोड देने वालों को ही आदिवासी देंगे वोट
आदिवासी सेंगल अभियान प्रमुख सालखन मुर्मू ने कहा कि आदिवासी सेंगल अभियान आदिवासी समुदाय के हितों को सुरक्षित रखने की पक्ष में है ।इसलिए यह लगातार सरकार से संवैधानिक तरीके से आदिवासियों को उनका धर्म कोड देने की मांग कर रहा है।लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सालखन मुर्मू ने कहा कि आदिवासी समाज इस बार लोकसभा में उसी पार्टी को वोट देगा जो सरना धर्मकोड को मान्यता देने की बात करेगा। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में आदिवासियों की आबादी करीब 15 करोड़ है।ये लोग प्रकृति की पूजा करते हैं। सरना धर्म उनके अस्तित्व की पहचान का हिस्सा है। आदिवासियों को सरना धर्म कोड से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।उन्हें सरना कोड नहीं मिलता है, यह उनकी धार्मिक आजादी से वंचित करने का प्रयास है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही इसके लिए समान रूप से दोषी हैं।
राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से भी मिली निराशा
आदिवासी सेंगल अभियान प्रमुख और पूर्व सांसद मुर्मू ने कहा कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से भी अपील की गई कि वे सरना धर्मकोड की मान्यता देने की पहल करें, लेकिन उनसे भी इन्हें निराशा ही हाथ लगी है।अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है,इसलिए आदिवासी सेंगल अभियान को अन्य संगठनों के सहयोग से 30 दिसंबर को भारत बंद और रेल रोड चक्का जाम करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।उन्होंने अपील किया है कि सरना धर्म कोड लिखने वाले 50 लाख आदिवासी एवं अन्य सभी सरना धर्म के समर्थक संगठन अपने-अपने गांव के पास एकजुट होकर प्रदर्शन करें। उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा में 11 नवंबर 2020 को जिन पार्टियों ने धर्मकोड बिल का समर्थन किया था उन्हें भी सामने आना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो इससे उनकी भूमिका भी संदेह के घेरे में होगी। इस प्रकार से उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी लपेटे में लिया है।