बीरेंद्र कुमार झा
शिवपुरा विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी पेज हो चली है। यहां 16 फरवरी को मतदान होना है। चुनाव में मुख्य मुकाबला भर्ती जनता पार्टी और इंडीजीनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा गठबंधन एवं कांग्रेस – वाम मोर्चा के वरिष्ठ होगा।इन दोनों गठबंधनों में सी किसी को बहुमत मिला तब तो इन्हें सरकार बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी ।लेकिन अगर इन्हें दोनों गठबंधनों में से किसी को बहुमत नहीं मिला तो टिपरा मोथा बनेगी इनका तारणहार।
बीजेपी गंठबंधन ने सभी 60 चुनावी मैदान में उतारे हैं अपने उम्मीदवार।
सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रमुख घटक दल बीजेपी ने इस बार चुनावी मैदान में 55 उमीदवारों को उतारा है और अपने सहयोगी आईपीएफटी के लिए मात्र 5 सीट ही छोड़ी है।ये गठबंधन सहयोगी गोमती जिले की अम्पी नगर विधानसभा सीट पर दोस्ताना चुनावी जंग लड़ेगी । इस तरह 16 फरवरी को होने वाले त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में आईपीएफटी 6 सीटों पर चुनाव लडेगी। ओजार खारा इसमें हुए त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन ने 25 साल में वाम मोर्चा के शासन को समाप्त कर दिया था। तब बीजेपी ने 10एस टी आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों से 36 सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि इसके गठबंधन सहयोगी दल आईपीएफटी को 8 सीट पर जीत हासिल की थी।
कांग्रेस -वाम मोर्चा 59 सीटों पर आजमा रही है भाग्य।
त्रिपुरा में हो रहे चुनाव में कांग्रेस- वाम दल गठबंधन भी इस चुनाव में पूरे जोर शोर से अपनी ताकत आजमा रही है।इसमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी अकेले 43 सीटों चुनाव लडेगी,जबकि वाम मोर्चा के अन्य घटक दल फॉरवर्ड ब्लॉक , आरएसपी और सीपीआई ने एक- एक सीट पर अपने उम्मीदवार खड़ा किया है। वाम मोर्चा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रहे कांग्रेस ने 13 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इसके अलावा टिपरा मोथा ने 42 सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। तृणमूल कांग्रेस 28 सीट पर अपना भाग्य आजमाएंगे,जबकि 18 निर्दलीय भी इस बार चुनावी मैदान में डटे हुए हैं।
टिपारा मोथा की लोकप्रियता।
त्रिपुरा की वर्तमान राजनीति हालत का मूल्यांकन किया जाए तो , इंडिजीनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के अलग टिपरा लैंड राज्य की अपने मूल मांग को पूरा करने में विफल रहने के कारण यह आमजनों में अपना समर्थन तेजी से खोने लगा है। इसका प्रभाव बीजेपी पर भी पड़ सकता है।दूसरी तरफ हाल में टिपटा मोथा की लोकप्रियता काफी पढ़ गई है। क्योंकि एक तरफ जहां यह अलग टिपरा राज की मांग उठा रही है तो वहीं दूसरी तरफ जनजातीय समुदाय के लोग अब भी तत्कालीन शाही परिवार के वंशज और टिपरा मोथा सुप्रीमो प्रद्योत देव वर्मा को सम्मान देते हुए बुबागरा या राजा कहकर संबोधित करते हैं। पूर्वोत्तर आज के सभी राजनीतिक दल bjp सीपी मॉल कांग्रेस ने खिलाडी समझोते की लिए जोश देव वर्मा से संपर्क किया था लेकिन ग्रेटर की कृपा लैंड पति प्रमोद था कि केरु कि कारण अभी तक किसी के साथ उसके सम रोजे को अंतिम रुप नहीं दिया गया है।
चुनाव की लेकर राजनीतिक दलों का मूल्यांकन और दावे।
बीजेपी नेता और चुनावी रणनीतिकार बलई गोस्वामी ने कहा कि त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति में बीजेपी के पास टिपरा मोथा और कांग्रेस युवा मोर्चा गठबंधन के मुकाबले बढ़त होगी क्योंकि, बीजेपी विरोधी वोट उनके बीच विभाजित हो जाएंगे। वही सीपीएम के वरिष्ठ नेता पवित्रा कार ने कहा कि टिपरा मोथा और बीजेपी के बीच लड़ाई से कांग्रेस वामदल गठबंधन को फायदा होने की उम्मीद है, क्योंकि बीजेपी के सहयोगी आईपीएफटी ने पहाड़ियों में अपनी ताकत खो दी है लेकिन कि सीपीएम के जनजाति क्षेत्रों में अभी भी वफादार समर्थक हैं। टिपरा मोथा के प्रवक्ता एंथनी दे वर्मा ने कहा उनकी पार्टी कम से कम 25 – 26 सीट जीत कर किंग मेकर बनेगी।