जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के मामले को लेकर जेडीयू अब दो फांड़ होती दिखाई पड़ रही है। ई0 शशिनाथ सिन्हा जैसे जेडीयू के वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा के पक्ष में आ रहे हैं।इनका मानना है की उपेंद्र कुशवाहा जो सवाल उठा रहे हैं,वह पार्टी के हित में है। तो वहीं मनोज लाल दास मनु जैसे लोग उपेंद्र कुशवाहा का खुलकर विरोध कर रहे हैं।
उपेंद्र कुशवाहा की भावना , जेडीयू के 90% नेताओं की भावना।
जेडीयू के पूर्व प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता रहे ई0 शशिनाथ सिन्हा का मानना है कि उपेंद्र कुशवाहा ने जो भावना व्यक्त की है,वह सिर्फ उनकी ही भावना नहीं है , बल्कि वह जेडीयू के 90% उन नेताओं की भावनाओं की भी भावना है, जो जेडीयू पार्टी और उसके बड़े नेताओं के प्रति लंबे समय से समर्पित रहे हैं। पूर्व महासचिव शंभूनाथ सिन्हा ने आरोप लगाया कि पता नहीं इन दिनों पार्टी के अंदर कौन सी ताकत सक्रिय हो गई है, जो पार्टी के कर्तव्यनिष्ठ नेताओं को किनारे लगाने में जुटी हुई है। उपेंद्र कुशवाहा जो भी कर रहे हैं,वह पार्टी के हित से जुड़ा हुआ है। उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।
उपेंद्र जैसा अहसानफरामोश नेता दूसरा नहीं
जेडीयू के प्रदेश सचिव मनोज लाल दास मनु ने आरोप लगाया है कि उपेंद्र कुशवाहा जैसा अहसानफरामोश नेता भारतीय राजनीति में दूसरा हो ही नहीं सकता है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने पार्टी के तमाम नेताओं के विचारों को दरकिनार करते हुए उपेंद्र कुशवाहा को तीसरी बार जेडीयू में वापस लाकर जे डी यू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बना कर सम्मान दिया। आज उपेंद्र कुशवाहा उन्हीं पर आरोप लगा रहे हैं। मनोज लाल दास मनु ने कहा उपेंद्र कुशवाहा के मुंह से कसम खाने की बात कहना शोभा नहीं देता। उन्हें बताना चाहिए कि 2015 ईस्वी के विधानसभा चुनाव में कुछ नेताओं को टिकट कैसे दिए गए थे।
जेडीयू के अंदर शुरू हुआ आरोप और प्रत्यारोप का यह सिलसिला थमने की जगह उत्तरोत्तर बढ़ता चला जा रहा है। इसके बाद अब नेताओं का ध्रुवीकरण शुरू हो गया है। जेडीयू नेताओं के इस ध्रुवीकरण ने कहीं और जोर पकड़ लिया तो इससे जेडीयू के अस्तित्व पर एक बड़ा खतरा तो उत्पन्न हो ही जायेगा, यही खतरा महागठबंधन की वर्तमान सरकार के स्थायित्व पर भी मंडराने लगेगा।