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Akshay Tritiya 2024: कब है अक्षय तृतीया? जानिए इसका महत्व और क्यों होती है यह तिथि इतनी खास

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Akshay Tritiya : हर साल वैशाख के महीने में शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। शास्‍त्रों में अक्षय तृतीया के दिन को बहुत शुभ माना गया गया है। कहा जाता है कि इस दिन किए गए कर्मों से जीवन में बरकत होती है। उसका फल कभी समाप्‍त नहीं होता। इ‍सलिए इस दिन अधिक से अधिक दान-पुण्‍य वगैरह किए जाते हैं।

अक्षय तृतीया का महत्‍व

अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्‍व बहुत ही खास माना गया है। इसे युगादि तिथि भी माना जाता है। मान्‍यता है कि इस दिन भगवान विष्‍णु के परशुराम अवतार का जन्‍म हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन ही युधिष्ठिर को कृष्‍णजी ने अक्षय पात्र दिया था। जिसमें कभी भी भोजन समाप्‍त नहीं होता था और इसी पात्र से युधिष्ठिर अपने जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाते थे। इसलिए अक्षय तृतीया के दिन दान पुण्‍य करने का भी विशेष महत्‍व माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन से त्रेतायुग का भी आरंभ हुआ था। इसी शुभ दिन पर गंगा का अवतरण भी धरती पर हुआ था।

अक्षय तृतीया के दिन ही सुदामा अपने मित्र भगवान कृष्ण से मिले थे। सुदामा ने कृष्‍ण को भेंट स्‍वरूप चावल के मात्र कुछ मुट्ठी दाने दिए थे। उनके पास श्रीकृष्‍ण को देने के लिए कुछ नहीं था। भाव के भूखे भगवान ने उनके प्रेम से प्रसन्‍न होकर उनकी झोपड़ी को महल बना दिया था। इतनी विशेषताओं की वजह से अक्षय तृतीया के दिन को साल का सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है।

अक्षय तृतीया को क्या करना चाहिए दान

मत्स्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन अक्षत, पुष्प, दीप द्वारा भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना करने से इनकी कृपा विशेष रूप से भक्तों पर बरसती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर जल, अनाज, गन्ना, सत्तू, सुराही, हाथ से बने पंखें आदि का दान करने से विशेष फल मिलता है।

अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त

अक्षय तृतीया 10 मई,शुक्रवार को सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर होगा और इसका समापन 11 मई के दिन सुबह 2 बजकर 50 मिनट पर हो जाएगा। अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त 10 मई के दिन सुबह 5 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट के बीच है। मान्‍यता है कि अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में किए गए हर कार्य में सफलता प्राप्‍त होती है।

अक्षय तृतीया व्रत और संपूर्ण पूजा विधि

सनातन धर्म में अक्षय तृतीया को सभी तिथियों में विशेष तिथि माना गया है। अक्षय तृतीया सर्व सिद्धि मुहूर्तों में से एक मुहूर्त है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना का विशेष महत्व होता है। अपने और परिवार की सुख- समृद्धि के लिए व्रत रखने का महत्व होता है।| अक्षय तृतीया पर सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान या घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करके श्री हरि विष्णुजी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए। फिर इसके बाद श्वेत कमल के पुष्प या श्वेत गुलाब, धूप-अगरबत्ती और चन्दन इत्यादि से पूजा अर्चना करनी चाहिए। नैवेद्य के रूप में जौ, गेंहू, या सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि अर्पित करें। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उन्हें दान-दक्षिणा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

 

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