न्यूज डेस्क
केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) ने दिल्ली शराब घोटाले में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को करीब आठ घंटे की पूछताछ के बाद रविवार शाम गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई ने कहा कि सिसोदिया ने जांच में सहयोग नहीं किया और अहम मसलों से जुड़े सवालों के जवाब देने से बचते रहे। सूत्रों का दावा है कि सीबीआई ने मामले में एक अधिकारी से भी पूछताछ की थी, जिसने माना था कि सिसोदिया ने रद्द हो चुकी 2021—2022 की आबकारी नीति बनाने में अहम भूमिका निभाई थी और कुछ निर्देश भी दिये थे
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अधिकारियों ने बताया कि शराब घोटाले में दूसरी बार पूछताछ के लिए सिसोदिया सुबह 11:12 बजे दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय पहुंचे। सीबीआई भी भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने उनसे आबकारी नीति, दिनेश अरोड़ा और अन्य आरोपियों से उनके संबंधों व उनके बीच मोबाइल फोन पर संदेशों के आदान प्रदान के बार े में पूछताछ की। उनके जवाब तथ्यों से मेल नहीं खा रहे थे। अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने महसूस किया कि गहन पूछताछ के लिए सिसोदिया को हिरासत में लेना जरूरी है। सिसोदिया को आज कोर्ट में पेश किया जाएगा।
शराब के लाइसेंस में 144 करोड़ की छूट देने का आरोप
- मनीष सिसोदिया पर शराब कंपनियों को लाइसेंस फीस में 144.36 करोड़ रुपए की छूट देने का आरोप लगा है। सरकार को होने वाला मुनाफा शराब कारोबारियों को हुआ।
- हवाई अड्डे की एक लाइसेंसधारक कंपनी को नियमों के विरुद्ध 30 करोड़ रुपए लौटाए गए।
- सिसोदिया का करीबी कारोबारी और घोटाले का अहम किरदार दिनेश अरोड़ा सरकारी गवाह बना।
- केस की जांच के दौरान सिसोदिया ने सात बार मोबाइल सेट व सिम बदला,इसकी सफाई नहीं दे पाए। ज्यादातर आरोपी गिरफ्तार,पूछताछ में सिसोदिया की भूमिका पता चली।
आपराधिक साजिश और खातों में हेरफेर का मुकदमा
मनीष सिसोदिया पर आपराधिक साजिश,खातों में हेरफेर के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में मामला दर्ज किया गया था। सीबीआई ने एफआईआर में मनीष सिसोदिया को आरोपी नंबर एक बनाया गया था। पिछले साल 25 नवंबर को दायर आरोपपत्र में उनका नाम नहीं था। इसे लेकर आप ने भाजपा पर निशाना साधा था। अफसरों के मुताबिक सीबीआई ने नाम इसलिए शामिल नहीं किया था क्योंकि तब उनके खिलाफ जांच चल रही थी।