Homeदेशजानिए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से कितनी पार्टियों ने बनाई दूरी

जानिए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से कितनी पार्टियों ने बनाई दूरी

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 न्यूज़ डेस्क 
अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन 22 जनवरी को होना तय है। तयारी जोरो पर है। देश भर में इस आयोजन को लेकर सत्ता से लेकर विपक्ष तक बयानबाजी जारी है। साधु संतों के बीच भी बहस जारी है। सनातन पर बहस जारी है। कौन सनातनी है और गैर सनातनी ? कौन धार्मिक है और कौन पापी ? कौन भगत है और कौन नहीं ? इस बहस में जनता भी शामिल है और नेता भी। साधू संत भी शामिल है और धर्माचार्य भी। शंकराचार्य भी। क्या किसी धार्मिक आयोजन में इस तरह के बहस की कोई गुंजाइश है ? 

धर्म एक अलग विषय है। लेकिन लगता है कि धर्म के नाम पर राजनीति कुलांचे मार रही है। ऐसी राजनीति कभी नहीं देखी गई।इस देश ने मंदिर आंदोलन को भी देखा लेकिन अभी जो रहा है वह विचित्र है। पाखंड का ऐसा नजारा शायद ही कोई देख सके। जिसका धर्म से कोई वास्ता नहीं वह तमूरा बजाता दिख रहा है। जो धर्म के बारे में कुछ नहीं जानता और धर्म के नाम पर व्यापार फैलता है वह भी धर्म पर ख्यायन देता फिर रहा है।  जो हो रहा है वह कल्पना  से परे और जो होगा उसकी कल्पना नहीं जा सकती। सामने लोकसभा चुनाव है। इस चुनाव को साधने के लिए भगवान के सहारे जो नर्तन होता दिख रहा वह आजाद भारत का अनोखा सच है। बाजी जीतने का सच .

अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम के मंदिर का 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथो उद्धाटन होने जा रहा है। इस मौके पर राम मंदिर ट्रस्ट ने कांग्रेस सहति देश की कई राजनीतिक पार्टियों को निमंत्रण भेजा था। लेकिन बुधवार को जब कांग्रेस की तरफ से ये साफ हो गया कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व या कोई भी प्रतिनिधिमंडल आयोजन में शामिल नहीं होगा। उसके बाद से ही राजनैतिक माहौल गरमा गया है। बता दें कि राम मंदिर समारोह में केवल कांग्रेस ही नहीं, कई और पार्टियों ने भी शामिल होने से मना किया है।

 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस के बड़े नेता शामिल नहीं होंगे। इस बात की जानकारी पार्टी के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने पत्र जारी कर दिया। और कहा कि पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे  और सोनिया गांधी ने कहा कि ये भाजपा और आरएसएस का इवेंट है। बता दें कि राम लला के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए मंदिर की तरफ से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, रायबरेली सांसद सोनिया गांधी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी को न्यौता भेजा गया था।

 वहीं, राम मंदिर उद्घाटन समारोह में शामिल होने से इंकार करने वालों में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम उद्धव शिवसेना का है। बता दें कि शिवसेना राम मंदिर निर्माण के लिए जमीन पर संघर्ष करने वाली पार्टियों में से एक है। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि पार्टी का कोई भी नेता इसमें शामिल नहीं होगा। ये भाजपा का कार्यक्रम है और इसमें हमारा कोई कार्यकर्ता शामिल नहीं होगा।

 वहीं, राम मंदि के उद्घाटन में न आने वाली पार्टियों में से एक उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी भी है। दरअसल, विश्व हिंदू परिषद की तरफ से आलोक कुमार अखिलेश को निमंत्रण देने गए थे, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया और कहा कि हम जिसे जानते नहीं उससे निमंत्रण नहीं लेते। हालांकि, अखिलेश ने आगे कहा कि हमारे आराध्य प्रभु श्रीराम आ रहे हैं और जब वो बुलाएंगे हम जाएंगे।

सीपीएम ने भी राम मंदिर कार्यक्रम से किनारा किया है। सीपीएम नेता वृंदा करात और सीताराम येचुरी ने इसे एक धर्म को बढ़ावा देने का कार्यक्रम बताया है। वहीं, ममता बनर्जी का इस समारोह में शामिल होना भी मुश्किल लग रहा है। इसको लेकर वो अपनी पार्टी के नेताओं को संकेत भी दे चुकी हैं।

 वहीं, गुरुवार को जब भाजपा के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा समाप्त हो चुकी है। उनको न्योता भेजा गया था। उनको सद्बुद्धि आई होती तो उनका पाप धुल जाता। कांग्रेस ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया। कांग्रेस ने जी20 शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया। 2004 के बाद 2009 तक, कांग्रेस ने कारगिल विजय दिवस का बहिष्कार किया।

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