पाकिस्तानी रुपये में गिरावट, कम हो रहे फॉरेन एक्सचेंज और बढ़ते कर्ज ने पाकिस्तान को दिवालिया होने के कगार पर पहुंचा दिया है। IMF यानी इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने पाकिस्तान को इस महीने दी जाने वाली 1.2 अरब डॉलर की किश्त रोक दी है।
IMF ने दिखाया पाकिस्तान को आईना
पिछले दिनों IMF की एक टीम ने पाकिस्तान का दौरा किया था और वहां की इकोनॉमी का एनालिसिस किया था। ये आईएमएफ का 9वां रिव्यू सेशन था और इसके बाद इस वर्ल्ड इकोनॉमिक बॉडी ने 1.2 अरब डॉलर की किश्त रोकने का फैसला किया। जिससे पाकिस्तान पर दिवालिया होने का खतरा बढ़ गया है।
पाकिस्तान पर 2.14 लाख करोड़ रुपए का कर्ज
पाकिस्तान पर विदेशी और पुराने कर्ज मिला कर 2.14 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। सिक्योरिटी फर्म के मुताबिक 2 लाख करोड़ में से दिसंबर और जनवरी 2023 में ही पाकिस्तान को 72 हजार करोड़ रुपए देने होंंगे। अगर वो ये इंस्टॉलमेंट नहीं चुकाता है तो डिफॉल्ट होना तय हो जाएगा। पिछले 11 महीनों में पाकिस्तान का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व लगातार कम होता जा रहा है। ये स्थिति भी तब है जब पाकिस्तान को लगातार IMF और एशियन डेवलपमेंट बैंक से हाल ही के महीनों में लोन मिला है।
कर्ज पर क्यों अटकी बात
IMF अगस्त में पाकिस्तान को 9 अरब डॉलर की मदद किश्तों पर देने तैयार हुआ था। पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में यह 23वां मौका था जब उसे दिवालिया होने से बचने के लिए इस इंटरनेशनल फाइनेंशियल बॉडी के आगे हाथ फैलाना पड़ा। 9 अरब डॉलर में से पाकिस्तान को अब तक सिर्फ 2 अरब डॉलर ही मिल पाए हैं। इसकी वजह यह है कि IMF बेहद सख्त शर्तों पर कर्ज देता है और उसका एक तय प्रोग्राम होता है। इसे संबंधित देश को हर हाल में मानना पड़ता है। सियासी मजबूरियों के चलते शाहबाज शरीफ सरकार इन शर्तों को पूरा नहीं कर पा रही है। यही वजह है कि IMF ने भी किश्त रोक दी है।