Homeदुनियाभारत पर छाती पीटने वाले मुस्लिम देश चीन पर चुप क्यों?

भारत पर छाती पीटने वाले मुस्लिम देश चीन पर चुप क्यों?

Published on

  • चीन में नाजियिंग मस्जिद के गुंबद गिराने पर विवाद

  • मस्जिद गिराने के दौरान पुलिस और आम लोगों में झड़प

  • ‘हुई’ मुस्लिम समुदाय कर रहा चीनी प्रशासन का विरोध

  • चीन के यूनान में तीन मस्जिदों पर जड़ दिया था ताला

  • शिनजियांग प्रांत में वीगर मुसलमानों के ख़िलाफ़ हो रहा जुल्म

विकास कुमार
चीन के यूनान प्रांत में एक मस्जिद की पुनर्निर्माण योजना के दौरान पुलिस और मुस्लिमों के बीच झड़प हो गई। इस घटना से जुड़ा वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। स्थानीय प्रशासन ने यूनान प्रांत के नागू कस्बे में की नाजियिंग मस्जिद के गुंबद और मीनार को ढहाने का फ़ैसला किया था। गौरतलब है कि ये मस्जिद 13वीं सदी में बनी थी। बीते कुछ सालों में इस मस्जिद का विस्तार किया गया है। इस दौरान नई मीनारें जोड़ी गई हैं और एक नया गुंबद भी बनाया गया है। लेकिन साल 2020 में अदालत ने मस्जिद में किए गए निर्माण को तुरंत हटाने का आदेश दिया था। अदालत के इसी फैसले को अमल में लाने के दौरान इलाके में भारी प्रदर्शन हुए थे।

वहीं इस घटना की पूरी दुनिया में चर्चा हुई। लेकिन हैरानी की बात ये है कि मुस्लिम देशों ने इस घटना पर चुप्पी साध ली। चीन के वीगर मुसलमानों के दमन की ख़बरें भी बाहर आती रहती हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और कई यूरोपीय देश इस मामले पर खुलकर चीन की निंदा कर चुके हैं। लेकिन कभी भी मुस्लिम देशों की ओर से इस पर कोई बयान नहीं आया है। भारत में छोटी सी छोटी घटना पर इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी का बयान आ जाता है। वहीं इस्लामिक मुल्कों का नेतृत्व करने का दावा करने वाले तुर्की जैसे देश भी चीन में मुसलमानों के खिलाफ सरकार की कार्रवाइयों पर चुप्पी साध लेते हैं। उल्टा पाकिस्तान, यूएई, सऊदी अरब, कतर, ओमान, बहरीन, मिस्र और कुवैत चीन की तारीफ करते रहते हैं।

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मुस्लिम देश चीन पर चुप क्यों रहते हैं। दरअसल मुस्लिम देश सत्तावादी हैं। और चीन उनके आंतरिक मामलों में कभी हस्तक्षेप नहीं करता है। वहीं चीन के भारी भरकम क़र्ज़ की वजह से भी मुस्लिम देश चुपी साधे रहते हैं। चीन मुस्लिम देशों को बिना किसी शर्त के क़र्ज़ दे रहा है। बीआरआई के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए चीन अब तक पाकिस्तान को 62 अरब डॉलर तक का क़र्ज़ दे चुका है। इसलिए मुस्लिम देश चीन के खिलाफ मुंह नहीं खोलते हैं। तीसरी बात ये है कि चीन अपनी एनर्जी डिप्लोमेसी का भी इस्तेमाल करता है।

सऊदी अरब, ईरान, कुवैत, ओमान और ईरान जैसे देशों के लिए चीन कच्चे तेल के निर्यात का अहम केंद्र है। इसलिए मुस्लिम देश चीन की किसी भी कार्रवाई पर चुपी साधे रहते हैं। चीन मुस्लिम देशों के साथ धार्मिक गतिविधियां भी बढ़ा रहा है। चीनी इस्लामिक एसोसिएशन के ज़रिए मध्य पूर्व में चीन के धार्मिक प्रयास तेज़ हो रहे हैं। इस एसोसिएशन का असली मक़सद ‘चीनी इस्लाम की विशेषता और पार्टी की विचारधारा की प्रशंसा’ पर ध्यान केंद्रित करना है। मध्य-पू्र्व और उत्तरी अफ़्रीका में चीन 2005 से अब तक एक सौ 44 अरब डॉलर का निवेश किया है। इसी दौरान मलेशिया और इंडोनेशिया में चीन ने एक सौ 21 अरब डॉलर का निवेश किया है। चीन ने सऊदी अरब और इराक़ की सरकारी तेल कंपनियों में भी भारी निवेश कर रखा है। साफ है कि चीन की आर्थिक शक्ति और पलटवार के डर के कारण मुस्लिम देश चुपी साधे रहते हैं।

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