Homeदुनियाब्रिटेन में आज किंग चार्ल्स की होगी ताजपोशी ,100 देश बनेंगे गवाह 

ब्रिटेन में आज किंग चार्ल्स की होगी ताजपोशी ,100 देश बनेंगे गवाह 

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न्यूज़ डेस्क 

ब्रिटेन में आज किंग चार्ल्स की ताजपोशी होगी। इस राज्याभिषेक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दुनिया भर के 100 देशों के प्रतिनिधि लंदन पहुँच गए। भारत की तरफ से आधिकारिक प्रतिनिधि के तौर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राज्याभिषेक समारोह में मौजूद रहेंगे। वह पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ सहित लंदन पहुंच गए हैं। उपराष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि लंदन में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इसके साथ ही सोनम कपूर और मुंबई के दो डिब्बे वालों को भी समारोह में आमंत्रित किया गया है। भारतीय मूल की ब्रिटिश शेफ मंजू मल्ही को भी आमंत्रित किया गया है जो उन कुछ लोगों में शुमार हैं, जिन्हें ब्रिटिश एंपायर मेडल से सम्मानित किया गया है।
     
 बता दें कि  महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद ही चार्ल्स को सम्राट का दर्जा मिल गया था, लेकिन अब उन्हें वास्तव में ताज पहनाने की शाही परंपरा अपनाई जाएगी। महारानी एलिजाबेथ का राज्याभिषेक 2 जून 1953 को हुआ था। करीब सौ देशों के राष्ट्राध्यक्ष और राजपरिवार इस दौरान एक हजार साल पुरानी पंरपरा के साक्षी बनेंगे। जानकारी के मुताबिक शाही अंदाज वाला यह समारोह तीन दिन तक चलेगा। इसके साथ ही सम्राट चर्च ऑफ इंग्लैंड के मुखिया बन जाते हैं और उन्हें विशेष अधिकार हासिल हो जाते हैं। हालांकि, यह परंपरा अनिवार्य नहीं है। किंग एडवर्ड सप्तम ने राजतिलक के बिना ही गद्दी संभाली थी।
                 
बता दें कि पिछले साल 8 सितंबर को महारानी एलिजाबेथ के निधन के दो दिन बाद ही प्रिंस चार्ल्स को औपचारिक रूप से सम्राट घोषित कर दिया गया था। यह परंपरा इस मायने में काफी अहम है कि किंग चार्ल्स न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा समेत 15 देशों के सम्राट बन जाएंगे। खबर के मुताबिक किंग चार्ल्स और महारानी कैमिला घोड़े से चलने वाली बग्घी में बैठकर वेस्टमिंस्टर एबे पहुंचेंगे। इस बग्घी में बिजली से चलने वाली खिड़कियां और एयर कंडीशन की सुविधा है। इस बग्घी का सबसे पहले इस्तेमाल 2014 में किया गया था।  ताजपोशी के बाद सम्राट चार्ल्स और महारानी कैमिला गोल्ड स्टेट कोच में बैठकर राजमहल लौटेंगे, जो कि 1830 के बाद से हर राज्याभिषेक में इस्तेमाल होती रही है। चार टन की यह बग्घी 1767 से शाही परिवार के पास है।

चार्ल्स कानून और चर्च ऑफ इंग्लैंड को कायम रखने की शपथ लेंगे। फिर राजतिलक कुर्सी पर बैठेंगे। आर्कबिशप उनके हाथों और सिर पर पवित्र तेल से अभिषेक करेंगे। सम्राट को धार्मिक और नैतिक अधिकारों का प्रतीक एक शाही गोला व राजदंड प्रदान किया जाएगा। अंत में उनके सिर पर सेंट एडवर्ड का ताज रखा जाएगा। यही प्रक्रिया महारानी कैमिला के राज्याभिषेक में भी अपनाई जाएगी। ब्रिटिश राजशाही के इतिहास में पहली बार किसी उत्तराधिकारी को राज्याभिषेक के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ा है।

पहला मौका होगा…जब राज्याभिषेक के अनुष्ठान में बौद्ध, हिंदू, यहूदी, मुस्लिम और सिख धर्मगुरु भी शामिल होंगे। राज्याभिषेक के लिए आयोजन स्थल को खास तरह के फूलों से सजाया गया है। इसमें मुख्य रूप से एंकिलेजिया फूल का इस्तेमाल किया गया है, जिसे पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।

राज्याभिषेक पर 100 मिलियन पाउंड यानी 1029 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। लगभग पूरे देश में जश्न का माहौल है। पर कुछ लोग आयोजन के खिलाफ भी हैं। दरअसल इसका सारा खर्च राजपरिवार नहीं, बल्कि कर देने वाली जनता के पैसों से हो रहा है। ऐसे में परंपरा के नाम पर इस शाही समारोह पर हो रही फिजूलखर्ची के विरोध में प्रदर्शन भी हो रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इसके बाद देश से शाही परिवार जैसा ओहदा खत्म हो जाए। वे राज्याभिषेक के विरोध में ‘नॉट माई किंग’ अभियान चला रहे हैं। ट्विटर पर भी ये ट्रेंड कर रहा है।

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