देहरादून: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हिमस्खलन की वजह से पर्वतारोहण की ट्रेनिंग ले रहे 28 प्रशिक्षार्थी बर्फ के पहाड़ पर फंस गए हैं। हादसे में 10 प्रशिक्षार्थियों की मौत भी हो गई है जबकि 18 लोग अभी भी फंसे हुए हैं। फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए सेना का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। बता दें कि द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी में हिमस्खलन के बाद नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम), उत्तरकाशी के प्रशिक्षार्थियों के फंसे हुए हैं।
द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी में हिमस्खलन में फंसे प्रशिक्षार्थियों को जल्द से जल्द सकुशल बाहर निकालने के लिए NIM की टीम के साथ जिला प्रशासन, NDRF, SDRF, सेना और ITBP के जवानों द्वारा तेजी से राहत एवं बचाव कार्य चलाया जा रहा है।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) October 4, 2022
एसडीआरएफ की टीमें रवाना
बर्फ के पहाड़ पर फंसे प्रशिक्षार्थियों को बचाने के लिए देहरादून से एसडीआरएफ की टीमें भेजी गईं हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वार्ता कर रेस्क्यू अभियान में तेजी लाने की मदद मांगी है। सीएम धामी ने फंसे प्रशिक्षार्थियों के लिए सेना की मदद के लिए अनुरोध किया है।
सेना की भी ली जा रही मदद
प्रशिक्षार्थियों को जल्द से जल्द सकुशल बाहर निकालने के लिए निम की टीम के साथ जिला प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और आईटीबीपी के जवानों द्वारा तेजी से राहत एवं बचाव कार्य चलाया जा रहा है। आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि ट्रेनिंग में प्रशिक्षक व प्रशिक्षणार्थी सहित कुल 175 लोग थे। जिसमे 28 लोग एवलांच की चपेट में आये हैं। रेस्क्यू के लिए हैली सेवा की मदद ली जा रही है।
रक्षामंत्री राजनाथ ने घटना पर जताया खेद
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घटना पर दुख जताते हुए बताया कि हिमस्खलन की वजह से फंसे प्रशिक्षार्थियों को बचाने के लिए हर संभव मदद की जाएगी
Spoke to CM Uttarakhand, Shri @PushkarDhami and took stock of the situation. Rescue operations are underway to help the mountaineers who are still trapped.
I have instructed the IAF to mount the rescue and relief ops. Praying for everyone’s safety and well-being. 2/2
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) October 4, 2022
क्या होता है एवलांच
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक एवलांच को हिमस्खलन या बर्फीला तूफान भी कहा जाता है। हिमालय के ऊंचे हिस्सों में बर्फीला तूफान आना साधारण बात है।
एवलांच तब आता है जब ऊंची चोटियों पर ज्यादा बर्फ जम जाती है और दबाव बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो ये अपनी जगह से खिसक जाती है।
लेकिन ऊंची चोटियों पर भारी बर्फ जमा होने से ये बर्फीला तूफान खतरनाक हो जाता है। दबाव से बर्फ की परतें खिसक जाती हैं और तेज बहाव के साथ नीचे की ओर बहने लगती हैं। रास्ते में जो कुछ आता है उसे ये तूफान अपने साथ बहा ले जाता है। बर्फीले तूफान को प्राकृतिक गतिविधि के तौर पर देखा जाता है। लेकिन अब इंसानी हस्तक्षेप और जलवायु परिवर्तन भी एवलांच आने का कारण माने जा रहे हैं। उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी कई बार एवलांच की घटनाएं सामने आती हैं।
हिमस्खलन से बचने के लिए जरूरी बातें:
- जहां बर्फ खिसकने का खतरा हो उन ढलानों से बचकर चलें।
- अगर बर्फीले इलाकों में जा रहे हैं तो पूरी तैयारी के साथ जाएं।
- अपने साथ हथौड़ा, कुदाल, रस्सी, और सुरक्षा के सामान व कुछ खाने की चीजें जरूर रखें।
- नदियों के किनारे अतिक्रमण न करें और न ही घर बनाएं।